गांव के लोगों ने इस पहल को आगे बढ़ाते हुए गांव में चारों तरफ फैले प्लास्टिक के कचरे को एक एक कर बीनने का काम किया और उसे गांव से दूर ले जाकर गढढ़ा खोदकर जला दिया। इतना ही नहीं हर घर से भी कचरा एकत्रित कर उसे एक साथ जला दिया गया। अब समिति और गांव के निवासियों ने निर्णय लिया है कि गांव के हर घर के बाहर कचरा पात्र रखा जाएगा, लेकिन वह भी प्लास्टिक का नहीं होगा, बल्कि लोहे से बनने वाले तेल के खाली पीपों का इस्तेमाल कचरा पात्र के रूप में किया जाएगा। गांव के निवासियों ने बताया कि प्लास्टिक मुक्ति के इस अभियान से बड़ी राहत गांव के पशुओं को भी मिली है। पहले बड़ी संख्या में प्लास्टिक गाय और भैंस सहित अन्य पशु भी खा जाते थे। हाल ही में इस गांव के दो व्यापारियों ने भी अपनी दुकान पर प्लास्टिक को पूरी तरह बंद कर कागज से बनने वाली थैलियों का इस्तेमाल शुरू किया है। इस गांव की बसावट 1981 में जयपुर में आई बाढ़ के बाद शुरू हुई थी।
गल् लाराम, प्रमुख, ग्राम विकास समिति, केशोपुरा आदर्श ग्राम