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दूध की बढ़ती कीमतों पर राघव चड्ढा ने केंद्र पर बोला हमला, कहा: जानकार भी अनजान बनी रही सरकार

locationजयपुरPublished: Oct 07, 2022 07:49:41 pm

आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा: चारे की कमी और दूध की कीमतों पर इसके प्रभाव के बारे में जानते हुए भी केंद्र सरकार ने क्यों कुछ नहीं किया, लम्पी वायरस फैलने से रोकने के प्रति सरकार की उदासीनता व उपेक्षा से स्थिति और हुई खराब

raghav chaddha

दूध की बढ़ती कीमतों पर राघव चड्ढा ने केंद्र पर बोला हमला, कहा: जानकार भी अनजान बनी रही सरकार

जयपुर। आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को दूध की बढ़ती कीमतों को रोकने में विफल रहने के लिए भाजपा सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि दो साल पहले इसके बारे में जानकारी होने के बावजूद समस्या का समाधान करने में केंद्र सरकार नाकाम रही। जिसके कारण दूध की कीमतों में और वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि चारे की कीमतों से दूध का सीधा संबंध है।

सांसद राघव चड्ढा ने कहा, “दूध की कीमतें फिर से बढ़ने वाली है। इसका कारण चारे की कीमतों में बेरोकटोक वृद्धि और लम्पी वायरस के प्रसार के कारण कुछ वर्षों से किसान चारे के बजाय अन्य फसलों की बुवाई करना पसंद कर रहे हैं। चारे की कीमतें अब अगस्त में 9 साल के उच्चतम स्तर 25.54% तक पहुंच गई हैं। अकेले गुजरात में, जो कि दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है, पिछले दो वर्षों में चारा फसलों का क्षेत्रफल 1.36 लाख हेक्टेयर कम हो गया है।
एक भी एफपीओ नहीं किया पंजीकृत
सांसद चड्ढा ने कहा कि सरकार ने दो साल पहले चारे के संकट और कृषक परिवारों पर इसके प्रभाव को देखा था। इसलिए, विशेष रूप से चारे के लिए 100 किसान उत्पादक संगठन स्थापित करने का प्रस्ताव केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में तैयार किया गया था। लेकिन संकट सामने आने के बावजूद अभी तक एक भी एफपीओ पंजीकृत नहीं किया गया है। सरकार को वर्षों पहले संभावित संकट के बारे में पता था, लेकिन कुछ नहीं किया।
400 से 1700 रुपए प्रति क्विंटल पहुंचा चारा
उन्होंने कहा कि एक साल में, चारे की कीमतों और मांग में तीन गुना वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए अकेले राजस्थान और एमपी में, चारे (भूसे) की कीमतें 400-600 रू प्रति क्विंटल से बढ़कर 1100-1700 प्रति क्विंटल हो गईं। लम्पी वायरस अनियंत्रित रूप से फैल रहा है और चारे की कीमतें बेरोकटोक बढ़ रही है, लेकिन सरकार ने इन मुद्दों को हल करने के लिए कुछ भी नहीं किया है। परिणाम स्वरूप किसानों को अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।
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