उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि जो किसान कर्ज नहीं चुका सके, उनकी जमीनों को कुर्क कर दिया गया। कुर्की की कार्रवाई में सबसे ज्यादा अलवर, जयपुर और हनुमानगढ़ के किसानों पर मार पड़ी है। इतना ही नहीं अभी भी हज़ारों किसानों पर कुर्की की कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। पीड़ित किसान अपनी ज़मीन बचाने के लिए अब सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। पालीवाल ने कहा कि राजस्थान सरकार ने बड़े-बड़े वादे-दावे किए थे कि बैंकों का लोन नहीं चुका पाने वाले किसानों की जमीन नीलाम नहीं होंगी। मंत्री ममता भूपेश ने विधानसभा में कहा था कि किसानों की जमीन कुर्की नहीं हो इसके लिए सरकार राजस्थान फार्मर्स डेबिट रिलीफ एक्ट ला रही है। इतना ही नहीं किसानों की 5 एकड़ तक की कृषि भूमि को कुर्की एवं नीलामी से बचाने के लिए राज्य सरकार ने सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 विधानसभा में पारित किया था। बावजूद इसके किसानों कि ज़मीनों की कुर्की होती रही।
क्या भाजपा-कांग्रेस की राह में रोड़ा बनेगी आप, रालोपा और एआईएमआईएम
किसानों का चुनाव में इस्तेमाल करती है भाजपा-कांग्रेस
पालीवाल ने कहा कि प्रदेश में अभी तक केवल सहकारी बैंकों की कर्जमाफी हुई है। जबकि किसान नेशनल, कॉमर्शियल, नेशनलाइज्ड रूरल बैंकों से भी कर्ज लेता है। इस बारे में प्रदेश सरकार के मंत्री कहते हैं कि उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है और केंद्र सरकार राज्य सरकार के पाले में गेंद डाल देती है जो कि ये साबित करता है कि बीजेपी और कांग्रेस किसानों का सिर्फ चुनाव में इस्तेमाल करती हैं। राजस्थान के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी केंद्र सरकार को सभी किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए।
उद्योगपतियों को नहीं रोक पा रही केंद्र सरकार
पालीवाल ने कहा कि बड़े-बड़े बिजनेसमैन हज़ारों करोड़ लेकर केंद्र सरकार की नाक के नीचे से विदेश भाग गए। खुद को देश का चौकीदार बताने वाले देश के मुखिया न उन्हें रोकने में कामयाब हुए और ना ही उनको सजा दिला पाए। कृषि प्रधान देश में ही किसानों का आज केवल चुनावी इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि उनकी समस्याओं का समाधान न करके सरकारें उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने में लगी हैं।