शहर में कैमरे लगने की शुरुआत सबसे पहले यातायात व्यवस्था के तहत हुई थी। इसमें जेएलएन मार्ग और टोंक पर जेडीेए ने कैमरे लगवाए। फिर कैमरों की उपयोगिता देखते हुए पुलिस कमिश्नरेट में अभय कमांड सेंटर स्थापित किया गया। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद बने इस सेंटर में कमांड ही नहीं मिल रही। सेंटर की स्थापना के समय ही तय किया गया था कि दिसम्बर 2018 तक शहर में 1700 कैमरे लगेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। नई योजना में मात्र 187 कैमरे लगाए गए। शहर में जेडीए ने 207 कैमरे पूर्व में ही लगा रखे हैं।
इनका मुख्य काम यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर नजर रखना है। इसके अलावा 4 जी टावर लगाने वाली कम्पनी ने 174 कैमरे लगए हैं। अपराध की रोकथाम के उद्देश्य से कैमरे लगाने की जिम्मेदारी डीओआइटी को दी गई। अभय कमांड सेंटर की स्थापना के साथ ही कैमरे लगााने के लिए पुलिस ने स्थान चिह्नित किए। इन स्थानों पर शहर में सैकड़ों खम्भे खड़े कर दिए गए। लेकिन कई माह से इन खम्भों पर कैमरे नहीं लगे। सचिवालय के सामने जनपथ पर भी खम्भे बिना कैमरों के ही खड़े हैं। डीओआइटी ने मात्र 187 कैमरे लगाए हैं।
कैमरों की उचित सार-संभाल नहीं
शहर में लगे कैमरों की देखरेख के लिए डीओआइटी ने एक टीम कमिश्नरेट पर तैनात कर रखी है। टीम कैमरों की सार-सम्भाल ठीक से नहीं कर पा रही है। करीब 130 कैमरे खराब हैं, जिनका उपयोग नहीं हो पा रहा। कई में स्थाई रूप से नेटवर्क की परेशानी है।
शहर में लगे कैमरों की देखरेख के लिए डीओआइटी ने एक टीम कमिश्नरेट पर तैनात कर रखी है। टीम कैमरों की सार-सम्भाल ठीक से नहीं कर पा रही है। करीब 130 कैमरे खराब हैं, जिनका उपयोग नहीं हो पा रहा। कई में स्थाई रूप से नेटवर्क की परेशानी है।
कैसे पूरा होगा 6 हजार कैमरों का लक्ष्य
शहर में 6 हजार कैमरे लगाने की योजना है। शहर के हर क्षेत्र को कैमरों से जोडऩे की योजना है। कैमरे लगने से शहर का हर हिस्सा सीधे रूप से कंट्रोल रूम से जुड़ जाएगा। वहां बैठे पुलिसकर्मी सीधे नजर रख सकेंगे। कैमरे लगाने रफ्तार से जाहिर है कि यह लक्ष्य अभी मुश्किल है।
शहर में 6 हजार कैमरे लगाने की योजना है। शहर के हर क्षेत्र को कैमरों से जोडऩे की योजना है। कैमरे लगने से शहर का हर हिस्सा सीधे रूप से कंट्रोल रूम से जुड़ जाएगा। वहां बैठे पुलिसकर्मी सीधे नजर रख सकेंगे। कैमरे लगाने रफ्तार से जाहिर है कि यह लक्ष्य अभी मुश्किल है।