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कोरोना के कारण गर्भपात के केस 20% बढ़े, शिशुओं में आ रही विकृति

locationजयपुरPublished: May 17, 2022 04:15:02 pm

Submitted by:

Swatantra Jain

अगर आपको या आपके किसी परिचित को कोरोना हुआ है, तो ये खबर आपके लिए है। संक्रमण से उबरने के बाद भी कोरोना के मरीजों में कोरोना के दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं। यही नहीं, कोरोना के मरीजों में ये दुष्प्रभाव उसकी संतानों में भी आने की आशंका जताई जा रही है।

कोरोना संक्रमण का असर अभी खत्म नहीं हुआ है। चिकित्सकों का कहना है कि संक्रमितों के शरीर में यह वेष बदलकर जिंदा (Covid Stay post ) है। कोरोना वायरस ने जहां पुरुषों के शुक्राणुओं का डीएनए तोड़ दिया है। वहीं यह महिलाओं में गर्भपात का बड़ा कारण भी बन रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण करीब 20 फीसदी महिलाओं में गर्भपात के मामले बढ़े हैं। इंडियन एसोसिएशन ऑफ गायनोकोलॉजिकल इंडोस्कोपिस्टस ( Indian Association of Gynecological Endoscopists) की बैठक में विशेषज्ञों ने रिसर्च के हवाले से इसका खुलासा किया है। लखनऊ आए चिकित्सकों ने बताया कि पुरुषों में कोरोना का असर फेफड़ों और दूसरों अंगों समेत शुक्राणुओं पर भी पड़ा है। केरल के डॉ. सुभाष माल्या ने बताया कि कोरोना के शुक्राणुओं पर पड़ने वाले असर पर ब्राजील और अमरीका में दो शोध पूरे हो चुके हैं।
डीएनए टूटने से गर्भस्थ शिशु में मानसिक विकृतियों की आशंका

शोध में यह भी पता लगाया जा रहा है कि डीएनए टूटने से गर्भस्थ शिशु में किस स्तर की मानसिक विकृतियां पैदा हो सकती हैं। शोध में सामने आया है कि पुरुषों में कोरोना संक्रमण के चलते शुक्राणुओं का डीएनए टूटने की वजह से भ्रूण का विकास नहीं हो पाता, जिससे गर्भपात के मामले सामने आ रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक पिछले महीनों के तुलना में गर्भपात के मामले बढ़े हैं। अब संक्रमित मामलों पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
निगेटिव होने पर भी बना रहता है वायरस

मेरठ के विशेषज्ञ डॉ सुनील जिंदल के अनुसार, यदि टूटे शुक्राणु के साथ महिला गर्भवती हो जाती है तो बच्चे में विकृतियों का डर रहता है। बच्चों में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की विकृतियां हो सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना निगेटिव होने के बाद भी वायरस हमारे शरीर में बना रहता है। कोरोना हमारे शरीर के अंदर रूप बदल लेता है। समय समय पर लोगों में कहीं पेट, किडनी, फेफड़े और निमोनिया जैसी बीमारियों का कारण बनता है।
ओमिक्रॉन का असर बूस्टर डोज से बेहतर

कोरोना के ओमिक्रॉन वायरस से संक्रमण का मामला पूरी दुनिया में भले ही बढ़ता जा रहा हो, पर भारत में इससे संक्रमित लोग मामूली परेशानी के बाद स्वस्थ हो रहे हैं। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोना का टीका ले चुके लोगों में ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के बाद जो एंटीबॉडी बन रही है वह बूस्टर डोज से बेहतर है। यह हर तरह के वैरिएंट से लड़ने में सक्षम है। यह अध्ययन वाशिंगटन विश्वविद्यालय और बॉयोएनटेक एसई ने मिलकर किया है।
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