
Jaipur News: जेडीए जोन -9 के छह अधिकारी और एक दलाल को एसीबी ने जिस काम के बदले रिश्वत लेते पकड़ा है, वह करीब एक साल से लंबित था। प्रशासन शहरों के संग अभियान में उसकी जमीन की 90-ए करने की हरी झंडी मिली गई थी। फाइल सभी स्तर पर ‘ओके’ होने के बाद भी रिश्वत के लिए जोन अधिकारियों ने मामला अटका दिया। इससे परेशान होकर जमीन मालिक एसीबी पहुंचा था।
एसीबी पहुंचने के बाद उसने अधिकारियों से संपर्क कर रिश्वत का ऑफर दिया तो सभी राजी हो गए और बोले… आपकी फाइल हमारी तरफ से पॉजिटिव है। प्रशासन शहरों के संग अभियान में फाइल ओके होने पर जेडीए ने सार्वजनिक सूचना जारी करने का आदेश भी दे दिए थे। इसकी परिवादी को लिखित जानकारी भी दी। अन्य काम के लिए सार्वजनिक सूचना निकल गई, लेकिन परिवादी का मामला अटका रहा। मार्च माह में प्रशासन शहरों के संग अभियान खत्म हो गया। इसके बाद परिवादी तहसीलदार लक्ष्मीकांत व अन्य से मिला तो उसे कहा कि अब नियम बदल गए। प्रक्रिया दुबारा होगी। इसके साथ कई तरह की कानूनी अड़चन भी बता दी।
जेडीए में पारदर्शिता के लिए ग्लास के केबिन बनाए गए हैं। सभी कर्मचारी बाहर गलियारे से साफ देखे जा सकते हैं। इसके बाद भी किसी को पकड़े जाने का डर नहीं है। एक-एक कर पांच अधिकारियों ने खुले में रिश्वत ले ली। एसीबी को इसका अनुमान न था कि एक साथ सब रिश्वत के लिए तैयार हो जाएंगे। स्थिति यह थी कि पकड़े जाते ही आरोपी बोले… यहां तो सभी लेते हैं।
परेशान परिवादी ने एसीबी को शिकायत की। एसीबी ने शिकायत का सत्यापन शुरू किया। इस दौरान परिवादी ने अधिकारियों से बात की तो सब तैयार हो गए। तहसीलदार लक्ष्मीकांत ने एक लाख रुपए, गिरदावर रुकमणि ने एक लाख, जेईएन खेमराज ने चालीस तथा श्रीराम ने बीस हजार रुपए मांगे। परिवादी गिरदावर विमला से मिला तो उसने अपने पति से मिलने के लिए कहा, जिसने पूरे काम के 13 लाख रुपए मांगे। जब परिवादी ने रिश्वत देने की हां कर दी तो सबने काम करने की हां भर दी। फाइल पर जो टिप्पणियां थीं, उन्हें भी दूर करने की जिम्मेदारी ले ली।
Published on:
25 Aug 2024 09:54 am
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