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रिश्वत का गठजोड़: एसीबी ने रिकॉडिंग की तो बातचीत में यह हकीकत आई सामने

locationजयपुरPublished: Sep 08, 2018 11:12:31 am

Submitted by:

Mridula Sharma

सार्वजनिक निर्माण विभाग का मामला, परेशान परिवादी ने की गुहार

jaipur

रिश्वत का गठजोड़: एसीबी ने रिकॉडिंग की तो बातचीत में यह हकीकत आई सामने

जयपुर. अधिकारी रिश्वत लेने के लिए ठेकेदारों को किस कदर परेशान करते हैं, इसकी बानगी हाल ही सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में रिश्वत प्रकरण की घटना के दौरान सामने आई। बिल भुगतान की एवज में रिश्वत मांगने वाले अधिकारियों और परिवादी की बातचीत की एसीबी ने रिकॉडिंग की तो इस हकीकत का खुलासा हुआ।
इस रिकॉडिंग में कोई अधिकारी बिल भुगतान के लिए एक प्रतिशत तो कोई डेढ़ प्रतिशत और कोई आला अधिकारी के नाम से दो प्रतिशत रिश्वत की राशि मांग रहा है। आइआइटी बनीपार्क और गांधी नगर बालिका स्कूल में किए गए कार्यों के करीब 32-33 लाख रुपए के दो बिलों के भुगतान के बदले में परिवादी को कैसे रिश्वत देने के लिए मजबूर किया। इसकी हकीकत इस रिकॉडिंग में हुई बातचीत में उजागर हुई है।
सत्यापन : 13 जुलाई को ऐसे आए संदेह में
परिवादी ने रिश्वत राशि नहीं देने पर बिल अटकाने की शिकायत एसीबी में की, तब एसीबी ने इसकी पुष्टि के लिए टीम बनाई और परिवादी व पीडब्ल्यूडी अधिकारी-कर्मचारियों के बीच हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया, तो यह खुलासा हुआ।
वरिष्ठ सहायक गजानंद स्वामी: …और विक्रमजी का क्या है
परिवादी: विक्रमजी का एक प्रतिशत बता रहे हैं, अपना क्या है
गजानंद: हां, जो विक्रमजी का है, वही अपना है
परिवादी: अच्छा एक प्रतिशत ही है
फिर 30 जुलाई को हुई बातचीत
अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी गुलाबचंद गुप्ता: कुछ नहीं कहेंगे वो, दो प्रतिशत के हिसाब से
परिवादी: दो प्रतिशत ही लगने है, घाटे के काम में एक नहीं हो सकता
गुलाबचंद: पन्द्रह लाख का काम है, पंद्रह हजार तो कम से कम लगेंगे
फिर अति. प्रशासनिक अधिकारी अशोक शर्मा: अशोक कैशियर से मिल लो
परिवादी: कैशियर से
अशोक शर्मा: ठीक है
कैशियर: 2800 रुपए रिश्वत की राशि प्राप्त की
9 अगस्त
कैशियर अशोक: 3 हजार दे दो, तीन हजार ही लगेंगे
परिवादी: तीन हजार ज्यादा नहीं होंगे क्या
कैशियर: डेढ़ प्रतिशत लेते हैं वो

11 अगस्त
अधिशासी अभियंता डीपी सैनी: दो प्रतिशत तो कम से कम कर यार
परिवादी: सर, मैं घाटे में हूं, बहुत ज्यादा
डीपी सैनी: दो तो…
परिवादी: दे दूंगा सर मैं, थोड़ा सा मुझे समय दे दो
डीपी सैनी: पैंसठ हजार रुपए तो वैसे ही हो गए, आपने दिए हैं पच्चीस, चालीस हजार बाकी रह गए
परिवादी: इसको आप अपने यहां ही निपटाओ,…वो सर नीचे वालों का क्या करेंगे?
डीपी सैनी: गुलाबचंद… को देने पड़ेंगे
20 अगस्त
परिवादी: बीस…, दस-दस हैं सर, अब ये बिल निकलवा दो
डीपी सैनी: 52 तो दे दिए आपने
परिवादी: तीस-तीस दे दिए, पैंसठ हो रहे थे…अब एक यह बिल निकलवाओ
डीपी सैनी: कितने दे दिए
परिवादी: पन्द्रह एक दे दिए थे
डीपी सैनी: दस एक दे दिए थे
परिवादी: दस एक दिए थे, दस आज दे दिए
डीपी सैनी: वो दर्ज हो गए
परिवादी: तीस-तीस हजार बता रहे हो, अब पैंसठ हो गए
डीपी सैनी: वो देख लेंगे
परिवादी: अच्छा सर, वो एक बार साहब से बात कर लेते, उनके लिए दस लाया हूं
डीपी सैनी: वो आप से ले लेंगे
परिवादी: सर, मुझे थोड़ा डर लग रहा है
डीपी सैनी: नहीं…नहीं.. डर नहीं, अच्छे आदमी हैं, ऐसे थोड़े होता है
परिवादी: ऐसे सीधे ही पूछ लूं क्या साहब
डीपी सैनी: हां-हां, सर मैं प्लीज यहां दे दूं क्या या घर आऊं, ऐसे पूछ लो ओपन लेते हैं
परिवादी: मैं डर रहा हूं
डीपी सैनी: आप इतना कहो, साहब मैं घर आ जाऊं या फिर यहीं कर दूं या अकेले में मिल लो
परिवादी: अभी मिल लेता हूं
डीपी सैनी: हां-हां मिल लो
20 अगस्त
(अधीक्षण अभियंता सुनील गुप्ता व अति. प्रशासनिक अधिकारी गुलाबचंद गुप्ता से बातचीत )
परिवादी: सर, वो फाइल तो पहुंची नहीं थी अभी, वो एक्सईएन साहब से एईएन साहब से भी बात हुई, बोले एक बार आपसे मिल लेना
सुनील: क्या मिलना है, क्या करना है मुझे, साहब ने तो भेज दी फाइल भाई साहब, इतनी देर थोड़े ना पड़ी रहती है (जबकि फाइल यहां ही लंबित थी)
गुलाब: हां, भेज दी ना बना के उस डेट में
सुनील: हां इतनी देर थोड़े लगती है, हमारे यहां
गुलाब: लेटर बना दिए
परिवादी: सर वो आई तो नहीं
गुलाब: अरे भाई साहब, उस फाइल के पीछे-पीछे थोड़े ही घूम रहा हूं
परिवादी: नहीं वो
गुलाब: लेटर बनाकर फाइल मैंने भेज दी, वो एओ साहब के पास पड़ी है, साहब रोकते नहीं है, हम भी नहीं रोकते
20 अगस्त को ही रिश्वत लेने के दौरान
परिवादी: अच्छा वो साहब पहला-पहला चांस है, इसके लिए एक्सईएन साहब ने कहा था, आप सीधे चले जाओ, बोल दो मैं सेवा के लिए आया हूं
गुलाब: हूं, सेवा करिए तो चुपचाप जाकर, यहां ऑफिस में थोड़े सेवा होती है
परिवादी: घर जाकर
गुलाब: और क्या
परिवादी: अब मैं एक काम करता हूं पहले आप निपटा दो, बीस हजार की व्यवस्था है अभी मेरे पास, उसमें निपटा दो, आगे मेरी हिम्मत नहीं है
गुलाब: ठीक है-ठीक है (दो प्रतिशत के हिसाब से 20 हजार लिए)
परिवादी: जैसे भी कर के कल तक निकलवाओ
गुलाब: हां ठीक है
परिवादी: दो दिन से हाथ जोड़ विनती कर रहा हूं
गुलाब: ठीक है, ठीक है
परिवादी: ये पकड़ो
गुलाब: कितने हैं, बीस
परिवादी: बीस हैं, यह मेरा काम कल आपकी जिम्मेदारी में रहेगा, मैं एक दम परेशान हूं गुलाबजी समझो घर पर मुझसे मांगने वाले आने लग गए हैं और एक भी फाइल निकल नहीं रही है। एक यहां अटक गई, एक का बिल एक्सईएन साहब के यहां पड़ा है, मैंने तो यहां तक कह दिया है कि एक बिल निकाल दो मैं सबको दे दूंगा।
गुलाब: कल ले जाना
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