एसीबी ने दौसा के ही तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (अब एसडीआरएफ के एसपी) मनीष अग्रवाल के दलाल नीरज मीणा को भी गिरफ्तार किया। वह मनीष अग्रवाल के लिए कम्पनी से 38 लाख रुपए की रिश्वत मांग रहा था। दलाल की गिरफ्तारी के बाद एसीबी ने दौसा से मनीष का पीछा किया। बार-बार टालमटोल के बीच एसीबी ने मनीष को जयपुर में आ पकड़ा और उनके दोनों मोबाइल जब्त कर लिए। साथ ही पाबन्द भी किया कि जब भी बुलाएं, एसीबी दफ्तर में हाजिर हों।
एसीबी के डीजी भगवानलाल सोनी ने बताया कि दौसा में हाईवे निर्माता कम्पनी के मालिक ने शिकायत की थी। कम्पनी का कहना था भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजा देेने की प्रक्रिया में देर की जा रही है। यह प्रक्रिया शीघ्र पूरी हो और निर्माण कार्य में रुकावट न आए, इसके लिए पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारी कम्पनी से रिश्वत मांग रहे हैं।
एडीजी दिनेश एमएन ने का सत्यापन कराया तो शिकायत सही पाई गई। इस पर एसीबी दौसा एसपी मनीष अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई करने वाली थी लेकिन इस बीच अग्रवाल का तबादला हो गया। जबकि दोनों एसडीएम बुधवार को रिश्वत लेने के लिए तैयार हो गए तो ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरोत्तमलाल वर्मा की टीम ने दौसा में जाल बिछाकर उन्हें गिरफ्त में ले लिया।
घूसखोरी के ये 3 चेहरे आए सामने
1. दौसा एसडीएम पुष्कर मित्तल: घर बुलाकर लिए 5 लाख
पुष्कर मित्तल ने रिश्वत लेने के लिए कम्पनी के प्रतिनिधि को अपने घर पर ही बुला लिया। वहां 5 लाख रुपए लेते ही एसीबी ने उसे पकड़ लिया।
2. बांदीकुई एसडीएम पिंकी मीणा: 5 लाख लाइजनर को दे दो, उससे ले लूंगी
पिंकी मीणा ने 10 लाख रुपए की रिश्वत मांगी जबकि कम्पनी ने 5 लाख रुपए देने के लिए कहा था। इस पर पिंकी मीणा ने कहा कि ये रुपए अपने लाइजनर को दे दो, मैं उससे ले लूंगी। इस पर एसीबी ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया।
3. तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल: दलाल ने मांगे 38 लाख
एसीबी के डीजी ने बताया कि इसी कम्पनी के मालिक से तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल के नाम से दलाल नीरज मीणा 4 लाख रुपए मासिक बंधी मांग रहा था। इसके अलावा कम्पनी के खिलाफ दर्ज होने वाले मामलों के निस्तारण और वाहनों की बंधी के नाम पर अलग रिश्वत मांगी। उसने कुल 38 लाख रुपए मांगे। रिश्वत की राशि लेने से पहले ही अग्रवाल का तबादला हो गया। तस्दीक में डिमांड की पुष्टि होने पर एसीबी ने दोनों एसडीएम के साथ दलाल नीरज मीणा को भी गिरफ्तार कर लिया। साथ ही मनीष अग्रवाल के दोनों मोबाइल फोन जब्त कर लिए।
इतना भ्रष्टाचार, सुनकर दंग रह गए सोनी, दोबारा सुनी घूसखोरों की कहानी
हाईवे बाने वाली कपनी का मालिक एसीबी से लगभग 35 दिन पहले मिला था। खुद डीजी बीएल सोनी को उन्होंने भ्रष्टाचार की बेल की जानकारी दी। यह सुनकर उन्हें विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने एडीजी दिनेश एमएन व अन्य अधिकारियों को बुलाकर उनके सामने पूरी कहानी फिर सुनी। कपनी ने प्रतिनिधि ने बताया कि वे क्षेत्र में पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को रिश्वत की सामान्य राशि देते आए हैं लेकिन अधिकारियों की डिमांड अचानक बढ़ गई, जो पूरी करना संभव नहीं है। इस पर उन्होंने एसीबी को शिकायत करने का निर्णय किया।
टालमटोल करते रहे एसपी मनीष, एसीबी ने जयपुर में ढूंढा
एसीबी ने दलाल नीरज मीणा को गिरफ्तार करने के बाद साक्ष्य जुटाने के लिए एसपी मनीष अग्रवाल की तलाश शुरू की। एसीबी के पास दलाल और कपनी प्रतिनिधियों के सपर्क के पर्याप्त सबूत हैं। अब दलाल व मनीष अग्रवाल के बीच सपर्क के साक्ष्य तलाशने थे। इसके लिए मनीष अग्रवाल की लोकेशन पूछी तो वह दौसा में मिले। वहां टीम भेजी तो पता चला कि वह जयपुर के लिए रवाना हो गए।
फिर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेन्द्र सिंह की टीम ने उनकी निगरानी शुरू की। पहले उन्होंने खुद को वैशालीनगर में बताया। वहां पहुंचे तो कहा कि श्यामनगर थाने की ओर जा रहा हूं। एसीबी टीम श्यामनगर क्षेत्र में पहुंची तब मनीष अग्रवाल मिले। टीम ने मोबाइल मांगे तो उन्होंने मना कर दिया। आखिर उच्चाधिकारियों ने दखल के बाद उन्होंने मोबाइल दिए। उनके दोनों मोबाइल एसीबी ने जब्त कर लिए। अब इनकी पड़ताल कर भ्रष्टाचार संबंधी साक्ष्य जुटाए जाएंगे। मनीष अग्रवाल का तबादला गत सप्ताह आई सूची में दौसा से पुलिस मुख्यालय किया गया है। वह श्यामनगर क्षेत्र में किराए का मकान देख रहे थे।