बतादें कि कर्मचारी के शुकवार शाम को आत्महत्या करने से पहले दिन में राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल सैनिक स्कूल पहुंची थीं। उन्होंने वहां के बच्चों की काउंसलिंग की थी तथा स्टाफ से भी जानकारी जुटाई थी। संगीता बेनीवाल ने बताया कि झुंझुनूं पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अनुसंधान नहीं किया। अभिभावकों ने बताया कि मामले में पुलिस ने कोताही बरती है, क्योंकि सात दिसंबर को एक बच्चे ने बैठक में इसकी शिकायत की। इसके बाद स्कूल प्रशासन ने यह बात कलेक्टर को बताई और कलेक्टर ने इस मामले से पुलिस को अवगत कराया। इसके बावजूद पुलिस ने शिक्षक को हिरासत में नहीं लिया। यहां तक की बच्चों को मेडिकल भी पुलिस ने तीन दिन बाद कराया। पुलिस पूरे मामले को दबाती रही। झुंझुनूं सदर थाने के जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।