फांसी टालने का एक और दांव
पटियाला हाउस कोर्ट में गुरुवार को चारों दोषियों के वकीलों ने 1 फरवरी को फांसी टालने के लिए एक और दांव लगाते हुए नई अर्जी लगाई है।
– दिल्ली जेल कानून के अनुसार समान अपराध के दोषियों के सभी कानूनी विकल्प पूरे होने के बाद ही फांसी लगाई जा सकती है।
– दोषी विनय की दया याचिका अब भी राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है।
– दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही फांसी दी जा सकती है।
पटियाला हाउस कोर्ट में गुरुवार को चारों दोषियों के वकीलों ने 1 फरवरी को फांसी टालने के लिए एक और दांव लगाते हुए नई अर्जी लगाई है।
– दिल्ली जेल कानून के अनुसार समान अपराध के दोषियों के सभी कानूनी विकल्प पूरे होने के बाद ही फांसी लगाई जा सकती है।
– दोषी विनय की दया याचिका अब भी राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है।
– दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही फांसी दी जा सकती है।
चारों दोषियों के कानूनी विकल्प मुकेश सिंह
रिव्यू पिटिशन: जुलाई 2018 को खारिज
क्यूरेटिव पिटिशन: 14 जनवरी को खारिज
दया याचिका: 17 जनवरी, 2020 को राष्ट्रपति ने खारिज की। सुप्रीम कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका। 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से खारिज। अब कोई विकल्प नहीं
अक्षय ठाकुर
रिव्यू पिटिशन: दिसंबर, 2019 में खारिज
क्यूरेटिव पिटिशन: 30 जनवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट से खारिज
दया याचिका: राष्ट्रपति के पास अभी तक नहीं लगाई गुहार, ये विकल्प शेष पवन गुप्ता
रिव्यू पिटिशन: जुलाई, 2018 को खारिज
क्यूरेटिव पिटिशन: अभी तक नहीं लगाई
दया याचिका: विकल्प अभी बचा है
रिव्यू पिटिशन: दिसंबर, 2019 में खारिज
क्यूरेटिव पिटिशन: 30 जनवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट से खारिज
दया याचिका: राष्ट्रपति के पास अभी तक नहीं लगाई गुहार, ये विकल्प शेष पवन गुप्ता
रिव्यू पिटिशन: जुलाई, 2018 को खारिज
क्यूरेटिव पिटिशन: अभी तक नहीं लगाई
दया याचिका: विकल्प अभी बचा है
विनय शर्मा
रिव्यू पिटिशन: जुलाई, 2018 में खारिज
क्यूरेटिव पिटिशन: 14 जनवरी, 2020 को खारिज
दया याचिका: 29 जनवरी को राष्ट्रपति के पास भेजी क्या है क्यूरेटिव पिटिशन: 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में व्यवस्था दी। इसके अनुसार यदि शीर्ष की ओर से दिए किसी फैसले में ऐसा प्रतीत होता है कि न्याय के सिद्धांत की पालना नहीं हुई तो क्यूरेटिव पिटिशन लगाई जा सकती है।
रिव्यू पिटिशन: जुलाई, 2018 में खारिज
क्यूरेटिव पिटिशन: 14 जनवरी, 2020 को खारिज
दया याचिका: 29 जनवरी को राष्ट्रपति के पास भेजी क्या है क्यूरेटिव पिटिशन: 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में व्यवस्था दी। इसके अनुसार यदि शीर्ष की ओर से दिए किसी फैसले में ऐसा प्रतीत होता है कि न्याय के सिद्धांत की पालना नहीं हुई तो क्यूरेटिव पिटिशन लगाई जा सकती है।