याचिकाकर्ताओं प्रतीक यादव के खिलाफ 17 फरवरी 2017 को स्वास्थ्य विभाग के पीबीआई थाने में पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद जांच की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। यहां तक की घटना में शामिल कार तक जब्त नहीं की गई। वहीं एफआईआर दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारी को पदोन्नत कर दिया।
याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि मामले में कार्रवाई करने वाली टीम को शुरूआत में एक लाख रुपए और आरोप पत्र पेश होने के बाद कुल ढाई लाख रुपए दिए जाते हैं। सुनवाई के दौरान प्रकरण के वर्तमान जांच अधिकारी पूरणमल न्यायालय में पेश हुए। उन्होंने अदालत में कहा कि 19 मार्च को ही जांच उनको मिली है। वहीं आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कई जगह दबिश दी गई, लेकिन आरोपी काफी चालाक है। ऐसे में वे गिरफ्त से दूर चल रहे हैं। जिस पर न्यायाधीश एसपी शर्मा ने संबंधित एसपी से रिपोर्ट पेश कर अब तक जांच नहीं करने और दोषी अनुसंधान अधिकारियों पर की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी मांगी है। इसी के साथ पूछा है कि क्या मामला दर्ज करने वाले जांच अधिकारी और उनकी टीम को एक लाख रुपए दिया गया था या नहीं। मामले पर अब 16 जुलाई को सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा कि मामले में कार्रवाई करने वाली टीम को शुरूआत में एक लाख रुपए और आरोप पत्र पेश होने के बाद कुल ढाई लाख रुपए दिए जाते हैं। सुनवाई के दौरान प्रकरण के वर्तमान जांच अधिकारी पूरणमल न्यायालय में पेश हुए। उन्होंने अदालत में कहा कि 19 मार्च को ही जांच उनको मिली है। वहीं आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए कई जगह दबिश दी गई, लेकिन आरोपी काफी चालाक है। ऐसे में वे गिरफ्त से दूर चल रहे हैं। जिस पर न्यायाधीश एसपी शर्मा ने संबंधित एसपी से रिपोर्ट पेश कर अब तक जांच नहीं करने और दोषी अनुसंधान अधिकारियों पर की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी मांगी है। इसी के साथ पूछा है कि क्या मामला दर्ज करने वाले जांच अधिकारी और उनकी टीम को एक लाख रुपए दिया गया था या नहीं। मामले पर अब 16 जुलाई को सुनवाई होगी।