गुलाब सागर बना अड्डा गुलाब सागर। शहर के बीचोबीच पानी से लबालब भरा जलाशय। देशी-विदेशी सैलानी जब भी शहर में आते हैं, तो इसे निहारे बिना नहीं जाते। इस सागर की घाट पर आपको डोडा पीने-पिलाने के नजारे भी देखने को मिल जाएंगे।
सूचना मिलने पर एक्सपोज टीम मौके पर पहुंची। वहां महिलाबाग अस्पताल की तरफ जाने वाले रास्ते के पास गुलाब सागर के लिए एक जगह खुली हुई थी। पास में बिजली का बड़ा सा पैनल बोर्ड लगा हुआ था। टीम कुछ देर वहां पर रुकी ही थी, कि तीन-चार लोग आए और बिजली के पैनल बोर्ड को खोलने लगे।
हमने सोचा कि डिस्कॉम कर्मचारी हैं और बिजली की समस्या दूर करने आए होंगे, लेकिन उन लोगों ने पैनल बोर्ड से कुछ डिब्बे निकाले। फिर अपने साथ लाए पाउडर को डिब्बे और कटोरी में डाला। पूछा तो कहने लगे, भाईजी डोडा है, डोडा। थोड़ा आप भी ले लो। दिनभर रेडीरेट रहौला।
जब हमने पूछा कि यह सब कहां से लाते हो, तो कहने लगे, आप तो पीओ। ज्यादा जरूरत है, तो पाव भर का 700 रुपए दे दो। यह सिर्फ झलक है। गुलाब सागर के किनारे रोजाना डोडा पीने-पिलाने का दौर चलता है। इसके अलावा शहर में कई जगहों पर डोडा अवैध रूप से खरीदा व बेचा जा रहा है।
रेलवे स्टेशन से होती है शुरुआत गुलाब सागर पर डोडा लेकर बैठे लोगों का कहना है कि वे रेलवे स्टेशन के बाहर बैठे कुछ लोगों से डोडा लेते हैं। इस पर पत्रिका टीम रेलवे स्टेशन पहुंची। वे लोग पहचान में भी आ गए, लेकिन पत्रिका टीम को पहचान लिया और वहां से निकल गए। यहां बाहर भिखारियों के भेष में बैठे लोग डोडा बेच रहे हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं।
पुलिस नहीं करती कार्रवाई डोडा पोस्त की बिक्री बंद हो चुकी है। इसके बावजूद शहर में आसानी से डोडा पोस्त या उसका घोल मिल जाता है। वह भी फोन पर। डोडा पोस्त पर रोक के बावजूद इसका खुलेआम बिकना और सेवन कई सवाल खड़े करता है। आज तक ऐसे घोल की बिक्री और सेवन करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
शहर में पुलिस की अनदेखी के कारण सरेआम गांजा और डोडा पोस्त की अवैध बिक्री की जा रही है। इसके चलते युवा वर्ग नशे की गिरफ्त में फंसता चला जा रहा है। पुलिस और प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से मादक पदार्थों की बिक्री को बढ़ावा मिल रहा है।
यहां लेते हैं सबसे ज्यादा राज्य सरकार को डोडा पोस्त से 98 करोड़ रुपए की सालाना आय हो रही थी, जबकि यह कारोबार 1000 करोड़ रुपए से अधिक का है। प्रदेश में डोडा पोस्त की बिक्री वित्त वर्ष 2014-15 में ही बंद होनी थी, लेकिन राज्य सरकार के आग्रह पर केन्द्र ने एक साल अवधि बढ़ा दी थी। यह 2016 में 31 मार्च को पूरी हो गई।
हालांकि डोडा पोस्त की लत छुड़ाने के लिए चिकित्सा विभाग आबकारी विभाग के सहयोग से नया सवेरा कार्यक्रम संचालित कर रहा है। इसमें शिविर लगाकर डोडापोस्त के शौकीनों की लत छुड़ाने की दवा दी जा रही है। इन शिविरों में लाइसेंसधारी शौकीन गिनती के ही पहुंचे।
आबकारी व पुलिस विभाग के सूत्रों के मुताबिक राज्य के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालाौर, प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़़, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, भीलवाड़ा सहित कई जिलों में मुख्य रूप से पीने वाले हैं। वैसे तो थोड़ा बहुत कारोबार प्रदेश के सभी जिलों में हो रहा था। इन जिलों में अब डोडा पोस्त को लेकर मारामारी होगी।
‘पुलिस करेगी कार्रवाईÓ (अतिरिक्त आबकारी आयुक्त छगनलाल श्रीमाली से सीधी बातचीत) सवाल – क्या शहर में डोडा-पोस्त के तस्कर सक्रिय हैं? जवाब – हां एेसी सूचना है, हमने मुखबिर का जाल बिछा रखा है।
सवाल – डोडा व अफीम तस्करी भी जोरों पर है, हर जगह बिक रहा है? जवाब – हां तस्करी तो हो रही है, वैसे डोडा व अफीम बेचने वालों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करती है।
सवाल-आबकारी का भी तो काम है, इन पर कार्रवाई करना? जवाब – हां आबकारी की भी जिम्मेदारी तो है, लेकिन हमारे महकमे का ध्यान शराब पर ज्यादा रहता है, फिर भी हम कार्रवाई करवाएंगे।