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जिसने परिवार उजाड़ा, उसे सजा तो मिले

locationजयपुरPublished: Sep 01, 2018 10:04:49 pm

Submitted by:

Harshit Jain

-एक परिवार का हाल : मुखिया छिना, पत्नी घर-घर खाना बनाकर पाल रही परिवार
– दूसरे परिवार का हाल : सहारा गया, दामादों पर निर्भर हुए बीमार माता-पिता

jaipur

जिसने परिवार उजाड़ा, उसे सजा तो मिले

जयपुर. हंसता-खेलता परिवार था। बिशनदास लेखवानी ठेला चलाता था लेकिन भविष्य के सुनहरे सपनों के साथ परिवार पाल रहा था। शाम को सभी एकसाथ खाना खाते, देर तक सुख-दुख की बातें करते। लेकिन… दो साल पहले उस काली रात ने सबकुछ छीन लिया। विधायक पुत्र सिद्धार्थ महरिया की कार ने ऐसा कहर बरपाया कि परिवार से उसका मुखिया छिन गया। घर लौटते बिशनदास को कार ने कुचल दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। बच्चों का पेट पालने के लिए अब बिशनदास की ४८ वर्षीय पत्नी कान्ता घर-घर जाकर खाना बनाने को मजबूर हो रही है।
कावेरी पथ निवासी कान्ता ने बताया, उस रात का मंजर जब भी याद आता है, पूरा परिवार सिहर उठता है। बिशन रामगंज में ठेले पर बच्चों के कपड़े बेचा करते थे। उस रात ऑटो में सी-स्कीम होते हुए मानसरोवर अपने घर लौट रहे थे। तभी सेंट जेवियर्स स्कूल चौराहे पर कार ने ऑटो को टक्कर मार दी और हमारा सबकुछ खत्म हो गया।

दिलासा खूब मिली, फिर कोई नहीं आया
कान्ता ने बताया, हादसे के बाद तो कई लोग घर आए। नेताओं ने दिलासा दी, मुख्यमंत्री सहायता कोष से ५० हजार रुपए भी दिए। अधिकारियों ने बेटे नवीन को सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वास दिया लेकिन बाद में कोई हाल पूछने तक नहीं आया। मंत्री-अधिकारी सब झूठे दिलासे दे गए। आज २ बेटियों, एक बेटे और सास का पेट पालने के लिए घर-घर जाकर खाना बनाना पड़ रहा है। कॉलेज में बेटे की फीस देनी बाकी है। बेटियों की पढ़ाई भी मुश्किल हो रही है। जिसने हमारे परिवार को उजाड़ा, उसे आज तक सजा नहीं मिली।
हमें सिर्फ न्याय चाहिए

हादसे के दूसरे शिकार मानसरोवर स्थित वरुण पथ निवासी जेठानंद केवलानी का परिवार भी ऐसे ही हालात से गुजर रहा है। जेठानंद दड़ा मार्केट में जूतों की दुकान पर काम करता था। परिवार में माता-पिता के अलावा २ बेटियां हैं जिनकी शादी हो चुकी है। कमाने वाला कोई नहीं है। जेठानंद की मां लाजवंती और पिता भावनदास अक्सर बीमार रहते हैं। अब घर की जिम्मेदारी जेठानंद के जीजा महेशकुमार और इंद्रकुमार ने संभाल रखी है। महेश ने बताया, हादसे के बाद सरकार से ५० हजार रुपए की सहायता के अलावा कुछ नहीं मिला। अब तो कोई पूछने भी नहीं आता। हमें सिर्फ न्याय चाहिए। सास हार्ट पैशेंट हैं, उनके घुटने जवाब दे चुके हैं। उनकी दवाओं पर हर महीने राशि खर्च हो रही है। ससुर की पीठ पर गांठ है। डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए कहा है लेकिन इतने पैसे नहीं हैं कि ऑपरेशन करा सकें।
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