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चुनाव का दंगल : जयपुर, जोधपुर, कोटा नगर निगम में प्रशासक के हाथ में आई कमान

locationजयपुरPublished: Nov 25, 2019 02:24:22 pm

Submitted by:

Bhavnesh Gupta

स्वायत्त शासन विभाग ने जारी किए आदेश… तीनों ही निगमों में मौजूदा आयुक्त को ही कमान

चुनाव का दंगल : जयपुर, जोधपुर, कोटा नगर निगम में प्रशासक के हाथ में आई कमान

चुनाव का दंगल : जयपुर, जोधपुर, कोटा नगर निगम में प्रशासक के हाथ में आई कमान

जयपुर। राज्य सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम में प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं। तीनों ही निगमों में मौजूदा आयुक्त को ही प्रशासक का जिम्मा सौंपा गया है। इस मामले में स्वायत्त शासन विभाग ने आदेश जारी कर दिए। निगम निगज जयपुर हैरिटेज और ग्रेटर की कमान आयुक्त विजय पाल सिंह को दी गई है। वहीं, जोधपुर उत्तर और दक्षिण की जिम्मेदारी सुरेश ओला को और कोटा उत्तर – दक्षिण की जिम्मेदारी वासुदेव मालावत को सौंपी गई है। राज्य सरकार ने तीनों शहरों में दो-दो नगर निगम गठित किए गए हैं। इसी आधार पर तीनों शहरों में अलग-अलग निगम में प्रशासक के अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं। आपको बता दें कि तीनों ही निगमों के मौजूदा बोर्ड का आज आखिरी दिन है। फिलहाल इन तीनों शहरों में से दो शहर जोधपुर व कोटा में भाजपा का ही बोर्ड और महापौर है। जबकि, जयपुर में बोर्ड तो भाजपा का है लेकिन भाजपा से बागी हुए पार्षद विष्णु लाटा कांग्रेस समर्थन से महापौर बने। राज्य सरकार अगले तीन-चार माह में सभी नवगठित छह निगमों में चुनाव कराएगी। वार्ड परिसिमन और पुनर्गठन काम का काम शुरू हो गया है, जो 5 जनवरी तक पूरा करना होगा।
भंग हो जाएगी समितियां
शहरी सरकारों का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही इन निगमों में आमजन से जुड़े कार्यो के लिए बनी संचालन समितियां भी भंग हो जाएंगे। समितियों के भंग होने के बाद आमजन से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव अटक जाएंगे। इसमें डेयरी बूथों, पान बूथ के आवंटन, भवन मानचित्रों के अनुमोदन के अलावा अनुकम्पा नियुक्ति सहित कई अहम निर्णयों के प्रस्ताव अटक जाएंगे। हालांकि सरकार इन समितियों के अधिकार प्रशासक को दे भी सकती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि इन अधिकारों का प्रशासन बहुत ही कम उपयोग करते है।
इन निकायों के मुखिया
नगर निगम जयपुर : विष्णु लाटा
नगर निगम कोटा : महेश विजय
नगर निगम जोधपुर : घनश्याम ओझा

महापौर-उपमहापौर के आईडी कार्ड की वेलेडिटी 29 नवम्बर
इस पूरी प्रकरण में एक मामली भी सामने आ रहा है। नगर निगम की ओर से महापौर और उपमहापौर को जारी पहचान पत्र में वेलेडिटी 29 नवम्बर अंकित है। इस आधार पर अलग—अलग कयास लगाए जा रहे हैं।
फरवरी या मार्च हो सकते है चुनाव
इन तीनों ही शहरों की 6 निकायों में चुनाव जल्द होने की भी कवायद शुरू हो गई है। जिस तरह से राज्य सरकार ने इन निकायों में वार्डों के सीमांकन करने की समयावधि को दो बार कम करके 5 जनवरी कर दिया है। ऐसे में संभावना है कि अगले वर्ष फरवरी या मार्च में इन निकायों में चुनाव करवाए जा सकते है। सरकार भी अब यही चाहती है कि इन निकायों में चुनाव जल्द हो। हाल ही में 49 निकायों में हुए चुनावों के परिणामों को देखकर सरकार उत्साहित है और इस माहौल का इन निगम के चुनावों में भी लाभ मिल सकता है।
जयपुर में शहरी सरकार की सियासत 3 महापौर के हाथ में रही
जयपुर नगर निगम में पहली बार है जब एक ही बोर्ड कार्यकाल में शहरी सरकार की सत्ता तीन महापौर के हाथ में रही। पहले दो साल निर्मल नाहटा महापौर चुने गए। हिंगौनिया गौशाला में गायों की मौत के प्रकरण के बाद उन्हें हटाकर अशोक लाहोटी को कमान सौंपी गई। वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव में विधायक चुने जाने के बाद लाहोटी ने महापौर पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से भाजपा के बागी पार्षद विष्णु लाटा जयपुर के महापौर बन गए।
पार्षद नहीं रहेंगे, तो ये काम भी होंगे प्रभावित..
-सामाजिक पेंशन (वृद्धावस्था, विधवा), क्योंकि इन आवेदनों पर सत्यापन पार्षद ही करते हैं।
-मृत्यु के बाद प्रोपर्टी विवाद सजरा रिपोर्ट पर भी पार्षद के हस्ताक्षर।
-नई रोड लाइट लगवाने, सीवर चैम्बर की सफाई करवाने व टूट-फूट ठीक करवाने सहित अन्य कार्य के लिए भी पार्षद की लिखित सिफारिश जाती है।
-राशन कार्ड, भामाशाह कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेज बनाने में भी कई जगह पार्षद के हस्ताक्षर व मोहर लगती है।
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