शहरी सरकारों का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही इन निगमों में आमजन से जुड़े कार्यो के लिए बनी संचालन समितियां भी भंग हो जाएंगे। समितियों के भंग होने के बाद आमजन से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव अटक जाएंगे। इसमें डेयरी बूथों, पान बूथ के आवंटन, भवन मानचित्रों के अनुमोदन के अलावा अनुकम्पा नियुक्ति सहित कई अहम निर्णयों के प्रस्ताव अटक जाएंगे। हालांकि सरकार इन समितियों के अधिकार प्रशासक को दे भी सकती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि इन अधिकारों का प्रशासन बहुत ही कम उपयोग करते है।
नगर निगम जयपुर : विष्णु लाटा
नगर निगम कोटा : महेश विजय
नगर निगम जोधपुर : घनश्याम ओझा महापौर-उपमहापौर के आईडी कार्ड की वेलेडिटी 29 नवम्बर
इस पूरी प्रकरण में एक मामली भी सामने आ रहा है। नगर निगम की ओर से महापौर और उपमहापौर को जारी पहचान पत्र में वेलेडिटी 29 नवम्बर अंकित है। इस आधार पर अलग—अलग कयास लगाए जा रहे हैं।
इन तीनों ही शहरों की 6 निकायों में चुनाव जल्द होने की भी कवायद शुरू हो गई है। जिस तरह से राज्य सरकार ने इन निकायों में वार्डों के सीमांकन करने की समयावधि को दो बार कम करके 5 जनवरी कर दिया है। ऐसे में संभावना है कि अगले वर्ष फरवरी या मार्च में इन निकायों में चुनाव करवाए जा सकते है। सरकार भी अब यही चाहती है कि इन निकायों में चुनाव जल्द हो। हाल ही में 49 निकायों में हुए चुनावों के परिणामों को देखकर सरकार उत्साहित है और इस माहौल का इन निगम के चुनावों में भी लाभ मिल सकता है।
जयपुर नगर निगम में पहली बार है जब एक ही बोर्ड कार्यकाल में शहरी सरकार की सत्ता तीन महापौर के हाथ में रही। पहले दो साल निर्मल नाहटा महापौर चुने गए। हिंगौनिया गौशाला में गायों की मौत के प्रकरण के बाद उन्हें हटाकर अशोक लाहोटी को कमान सौंपी गई। वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव में विधायक चुने जाने के बाद लाहोटी ने महापौर पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस के समर्थन से भाजपा के बागी पार्षद विष्णु लाटा जयपुर के महापौर बन गए।
-सामाजिक पेंशन (वृद्धावस्था, विधवा), क्योंकि इन आवेदनों पर सत्यापन पार्षद ही करते हैं।
-मृत्यु के बाद प्रोपर्टी विवाद सजरा रिपोर्ट पर भी पार्षद के हस्ताक्षर।
-नई रोड लाइट लगवाने, सीवर चैम्बर की सफाई करवाने व टूट-फूट ठीक करवाने सहित अन्य कार्य के लिए भी पार्षद की लिखित सिफारिश जाती है।
-राशन कार्ड, भामाशाह कार्ड सहित अन्य सरकारी दस्तावेज बनाने में भी कई जगह पार्षद के हस्ताक्षर व मोहर लगती है।