झालावाड़। प्रदेश के सभी लॉ कॉलेजों (Law colleges) में इस बार भी मान्यता नहीं (Not recognized) मिलने से प्रथम वर्ष में प्रवेश प्रक्रिया अटकी (Admission process stuck) हुई है। मौजूदा सत्र के 54 दिन बीत चुके हैं, लेकिन बार कौंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) की मंजूरी के बिना प्रवेश मुश्किल लग रहा है। लेटलतीफी का खमियाजा विद्यार्थी भुगत रहे हैं। बीते सत्र की तरह दाखिलों में विलम्ब होना तय है। प्रदेश में झालावाड़ सहित नागौर, सीकर, सिरोही, बूंदी, अजमेर और अन्य लॉ कॉलेज में प्रथम वर्ष के दाखिलों पर तलवार लटकी हुई है। उच्च शिक्षा विभाग ने हमेशा की तरह बार कौंसिल ऑफ इंडिया की मंजूरी के बिना प्रवेश नहीं करने की शर्त लगाई है।
संसाधनों की कमी से अटकी मान्यता शिक्षकों और संसाधनों की कमियां पूरी करने के लिए सरकार ने पिछले सत्र में बीसीआई को अंडरटेकिंग दी थी, लेकिन यह परेशानियां अब तक कायम हैं। कमियां पूरी हुए बिना बीसीआई प्रवेश की मंजूरी देने को तैयार नहीं है। हालांकि राजस्थान लोक सेवा आयोग के जरिए विधि शिक्षकों की भर्तियां हो चुकी हैं। झालावाड़ लॉ कॉलेज में दो व्याख्याताओं की नियुक्ति की गई है, लेकिन अभी भी यहां पर्याप्त स्टाफ नहीं है।
तीन साल की सम्बद्धता में रोड़े बार कौंसिल ने विश्वविद्यालयों को सभी लॉ कॉलेज को एक के बजाय तीन साल की एक मुश्त सम्बद्धता देने को कहा। फिर भी सरकार और विश्वविद्यालय कोई फैसला नहीं ले पाए। विश्वविद्यालय अपनी स्वायतत्ता छोडऩा नहीं चाहते। वहीं सरकार इस मुद्दे को कॉलेज और विश्वविद्यालय के बीच मानते हुए दूरी बनाए हुए है। झालावाड़ लॉ कॉलेज ने 2018-19 तक के लिए विश्वविद्यालय संबद्धता के लिए तीन लाख 50 हजार रुपए जमा करा रखे है। फिर भी इस वर्ष तक संबद्धता नहीं मिलने से महाविद्यालय पर संकट के बादल छाए हुए है। ऐसे में विद्यार्थियों को निजी महाविद्यालयों में प्रवेश लेने की मजबूरी बनी हुई है।
सभी सुविधाएं होनी चाहिए
यूजीसी के मुताबिक किसी भी लॉ कॉलेज में पर्याप्त शिक्षक नहीं है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार और अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं। विद्यार्थियों से विकास और खेल शुल्क वसूला जाता है, पर उसकी उपयोगिता नहीं दिख रही है। राज्य में झालावाड़ सहित कोई लॉ कॉलेज यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ में पंजीकृत नहीं है। लॉ कॉलेज ने यूजीसी को भेजी रिपोर्ट में बताया कि भवन, शिक्षक और संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन यूजीसी के नियमानुसार पंजीकरण नहीं होने से ग्रेड के लिए आवेदन करना मुश्किल है।
यूजीसी के मुताबिक किसी भी लॉ कॉलेज में पर्याप्त शिक्षक नहीं है। कॉलेज में शारीरिक शिक्षक, खेल मैदान, सभागार और अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं। विद्यार्थियों से विकास और खेल शुल्क वसूला जाता है, पर उसकी उपयोगिता नहीं दिख रही है। राज्य में झालावाड़ सहित कोई लॉ कॉलेज यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ में पंजीकृत नहीं है। लॉ कॉलेज ने यूजीसी को भेजी रिपोर्ट में बताया कि भवन, शिक्षक और संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन यूजीसी के नियमानुसार पंजीकरण नहीं होने से ग्रेड के लिए आवेदन करना मुश्किल है।
फैक्ट फाइल राज्य में सरकारी लॉ कॉलेज -15 कॉलेजों में व्याख्याता – 40 विद्यार्थियों की संख्या- 15 हजार दो-छात्र, दो शिक्षक राजकीय लॉ कॉलेज झालावाड़ में तृतीय वर्ष में दो छात्र है। उनके लिए दो व्याख्याता हैं। पूरे प्रदेश में विधि शिक्षा में करीब 40 ही व्याख्याता कार्यरत हैं, जबकि राज्य में 15 लॉ कॉलेज संचालित हैं, जिनमें 15 हजार से ज्यादा विद्यार्थी हैं। नागौर, सिरोही, बूंदी लॉ कॉलेज में तो महज एक-एक शिक्षक कार्यरत है।
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निर्देश मिलने पर ही प्रवेश
अभी मान्यता नहीं मिलने से कॉलेज में प्रवेश नहीं हो रहे हैं। यह तो उच्च स्तर का मामला है। आगे से निर्देश आने के बाद ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। अभी एक व्याख्याता की नियुक्ति हुई है।
अभी मान्यता नहीं मिलने से कॉलेज में प्रवेश नहीं हो रहे हैं। यह तो उच्च स्तर का मामला है। आगे से निर्देश आने के बाद ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। अभी एक व्याख्याता की नियुक्ति हुई है।
राकेश कुमार मीणा, कार्यवाहक प्राचार्य, राजकीय लॉ कॉलेज, झालावाड़