कर्ज की अवधि बढ़ाने का विकल्प ग्राहक बैंक से लोन रीशेड्यूलिंग यानी कर्ज अदायगी की अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर सकते हैंए ताकि ईएमआइ घट जाए। रीशेड्यूलिंग उनके लिए फायदेमंद हैए जिन पर एक साथ कई लोन चल रहे हैं। इससे ईएमआइ को बजट के भीतर रखने में मदद मिलेगी। लेकिन लोन की मियाद बढ़ाने पर ब्याज की वाली राशि काफी बढ़ जाएगी।
सस्ता कर्ज तलाशें ईएमआई का बोझ कम करने के लिए अपने मौजूदा बैंक को छोड़कर किसी ऐसे बैंक या संस्था के पास जा सकते हैंए जो कम ब्याज दर पर कर्ज दे रहा हो। यानी लोन स्विच करा सकते हैं। अगर 20 साल के लिए 75 लाख रुपए का होम लोन लिया गया हो तो ब्याज दर में 50 आधार अंक की कमी से ब्याज के मद में 5ण्5 लाख रुपए बचा सकते हैं। जिनका कर्ज लंबा चलना है, उनके लिए दूसरे बैंक के पास जाना फायदेमंद हो सकता है।
इतना पड़ेगा असर अगर आपने 15 साल के लिए 6ण्5ः की दर से 50 लाख रुपए कर्ज लिया है तो इसकी ईएमआइ 43,555 रुपए बनती है। रेपो रेट में 1.4 की बढ़ोतरी होने से होम लोन की दरें 7.9 हो जाने पर ईएमआइ भी बढ़कर 47,494 रुपए हो जाएगी। बैंक से बात करके कर्ज को 15 साल के बजाय 20 साल के लिए कराते हैं तो 7.9 ब्याज दर पर ईएमआई घटकर 41,511 रुपए रह जाएगी लेकिन ब्याज के रूप में चुकाई जाने वाली कुल राशि 35.5 लाख रुपए से बढ़कर 49.6 लाख रुपए हो जाएगी।
कर्ज का डेफरमेंट ग्राहक कर्ज डेफरमेंट का विकल्प चुन सकते हैं और बैंक से कर्ज टलवाने का अनुरोध कर सकते हैं। ग्राहक बैंक से अनुरोध कर सकते हैं कि कुछ समय तक पूरी ईएमआइ नहीं ली जाए। यानी कुछ समय मूलधन न लिया जाए और केवल ब्याज वसूला जाए। कर्ज को टालने से आपको कुछ समय की राहत तो मिल सकती हैए मगर इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है। डेफरमेंट के दौरान बकाया रकम पर साधारण ब्याज चुकाना पड़ेगा।