न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि केस डायरी में जो दस्तावेज लगाया गया है उसमें प्रथम दृष्टया आरोपियों द्वारा अपराध किया जाना प्रतीत होता है। अनावेदक भाईयों ने जिस आधार पर जमानत चाही है वह प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। इसलिए जमानत का लाभ देना उचित नहीं है। खास बात यह है कि आरोपी भाईयों ने दूसरी बार जमानत की मांग करते हुए न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया था। पहला आवेदन को निचली अदालत ने पहले ही निरस्त कर दिया है।
मामला डॉटा सेंटर निर्माण का
इस मामले में अ वर्ग सिविल कांट्रेक्टर महेश शर्मा ने शिकायत की थी। उसने कलक्टर के जनदर्शन में शिकायत की थी कि उसने डाटा सेंटर निर्माण में किसी तरह का आवेदन नहीं दिया था। इसके बाद भी उसके नाम से कार्य आदेश जारी किया गया। साथ ही भुगतान भी किया गया। आरोपियों ने कूटरचना कर पहले लेटर हेड बनाया, फिर उसपर हस्ताक्षर कर कार्य आदेश लिया। निगम आयुक्त द्वारा शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने से पीडि़त एसपी से शिकायत कर पूरे मामले की जांच करने और कार्रवाई करने की मांग की थी। पुलिस की विशेष जांच सेल की अनुंससा पर एफआईआर किया गया।