मुख्य सचेतक महेश जोशी ने चारदीवारी के छोटे-छोटे बाजारों पर ज्यादा फोकस किया है। ऐसे बाजार तंग गलियों में चल रहे हैं। उनका कहना है कि छोटे-छोटे बाजारों में सैकड़ों दुकानें बनी हुई है। कई इलाकों में तो छोटे-छोटे भूखंडों पर कई मंजिलें चढ़ा दी गई और वहीं सैकड़ों दुकानें बना ली गई हैं। पुरोहितजी का कटला और कई हवेलियों को तोड़कर बनाए गए कॉम्पलेक्स का उदाहरण देकर सिस्टम को आइना दिखाने से भी नहीं चूके। उन्होंने चिंता जाहिर की है कि इन बाजारों में अग्निशमन वाहन का जाना तो दूर आमजन तक आसानी से नहीं चल सकता है। ऐसे कई कहीं अग्निकांड हो जाए तो भयावह हालात को सामना करना पड़ेगा।
-15 मीटर से उंचे भवनों में फायर एनओसी लेना है अनिवार्य
-जहां 50 से ज्यादा लोगों की आवाजाही एक समय रहती है वहां भी एनओसी जरूरी
-300 वर्गमीटर से बड़े कंस्ट्रशन एरिया भवन में फायर फाइटिंग सिस्टम हो
-घनी आबादी इलाके में ईंधन संचालित व्यवसाय नहीं होना चाहिए
-अग्निशमन संसाधन के बिना संचालित प्रतिष्ठानों को सील करने का है प्रावधान
राजधानी में लगातार आगजनी की घटनाओं के बावजूद सरकार फायर एक्ट प्रस्ताव को दबाकर बैठी है। नगर निगम भी आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए फायर एक्ट की आवश्यकता जता चुका है। इसके लिए सरकार को दिल्ली फायर सर्विस एक्ट, 2007 और द पंजाब फायर प्रीवेंशन एण्ड सेफ्टी एक्ट, 2004 का हवाला दिया गया है। दोनों जगह के फायर एक्ट का पूरा अध्ययन किया गया। इसके कई प्रावधान को जोड़ने की अनुशंसा की गई है।