आलाकमान की कमजोरी दिखी—
बीजेपी के अध्यक्ष पूनिया यहीं नहीं रूके और उन्होंने ये भी कहा कि जो अंतरकलह व भितरघात है, और इसमें कांग्रेस आलाकमान की कमजोरी स्पष्ट नजर आती है और यह भी तय है कि राजस्थान में कांग्रेस की कभी भी सत्ता में वापसी नहीं होगी। राजस्थान में होने शिविर को कांग्रेस ने चिंतन शिविर नाम दिया है, लेकिन मुझे लगता है कि कांग्रेस को चिंता करने की जरूरत है, 1885 की कांग्रेस देश के नक्शे से सिमटती जा रही है, लोगों ने उसको व्यवहार और सिद्धांत से नकार दिया है, दो ही प्रदेश बचे हैं छत्तीसगढ़ व राजस्थान, इनमें भी कांग्रेस पार्टी कहीं धरातल पर भी नहीं है और ना ही शीर्ष पर दिखती है।
बीजेपी के अध्यक्ष पूनिया यहीं नहीं रूके और उन्होंने ये भी कहा कि जो अंतरकलह व भितरघात है, और इसमें कांग्रेस आलाकमान की कमजोरी स्पष्ट नजर आती है और यह भी तय है कि राजस्थान में कांग्रेस की कभी भी सत्ता में वापसी नहीं होगी। राजस्थान में होने शिविर को कांग्रेस ने चिंतन शिविर नाम दिया है, लेकिन मुझे लगता है कि कांग्रेस को चिंता करने की जरूरत है, 1885 की कांग्रेस देश के नक्शे से सिमटती जा रही है, लोगों ने उसको व्यवहार और सिद्धांत से नकार दिया है, दो ही प्रदेश बचे हैं छत्तीसगढ़ व राजस्थान, इनमें भी कांग्रेस पार्टी कहीं धरातल पर भी नहीं है और ना ही शीर्ष पर दिखती है।
अराजकता फैलाने की कोशिश— पूनिया ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने भरपूर कोशिश की कि देश में अराजकता कैसे फैले, राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार के संरक्षण में सो कॉल्ड आंदोलन हुआ था, उसका प्रदेश में कहीं कोई असर नहीं था, सरकार के संरक्षण में हाईवे को रोककर अराजकता फैलाने की कोशिश की गई, लेकिन वह असफल रही और भविष्य में भी कांग्रेस ऐसा नहीं कर पाएगी। 2018 में कांग्रेस अपनी खूबियों से सत्ता में नहीं आई, बहुत कम ही मार्जिन रहा, 12 सीटों पर तो 400 से 1000 वोटों का ही अंतर रहा।कांग्रेस राजस्थान में बाय डिफॉल्ट सत्ता में आई, भाजपा जब राजस्थान में आई तो 163 सीटें लेकर आई और जब कांग्रेस सत्ता में आई तो एक बार उनकी 95 और एक बार 99 सीटें आई, जब हम विपक्ष में आए तो एक बार 79 और एक बार 72 और जब कांग्रेस विपक्ष में आती है तो एक बार 56 और दूसरी बार 21 सीटें आई और इस बार 21 से माइनस करके देखेंगे तो टैंम्पो लाइक सवारी ही बचेंगी ।
हर जिले में आंदोलन—
हर जिले में आंदोलन—
पूनिया ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के खिलाफ बड़ी एंटी इनकंबेंसी है और भाजपा संगठन की प्रदेश में अपनी खूबी है कि नीचे तक ग्रास रूट तक संगठनात्मक मजबूती के कार्य हो रहे हैं और लगातार सड़क से लेकर सदन तक जनहित के मुद्दों को उठाया जा रहा है। पांच मई से अलवर में आंदोलन की शुरूआत हो रही हैं और इस के बाद सभी जिलों में आंदोलन होंगे।