scriptचीतों के बाद अब भारत आने वाले हैं 60 दरियाई घोड़े | After cheetahs now 60 hippos are going to come to India | Patrika News

चीतों के बाद अब भारत आने वाले हैं 60 दरियाई घोड़े

locationजयपुरPublished: Apr 01, 2023 12:17:11 am

Submitted by:

Aryan Sharma

बदलेगा बसेरा : कोलंबिया का सिरदर्द बने ‘कोकीन हिप्पो’ किया जाएंगे स्थानांतरित। आबादी की रोकथाम की कोशिशों के बावजूद 130 तक पहुंची संख्या।

चीतों के बाद अब भारत आने वाले हैं 60 दरियाई घोड़े

चीतों के बाद अब भारत आने वाले हैं 60 दरियाई घोड़े

बोगोटा. नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों के बाद अब कोलंबिया से 60 दरियाई घोड़े भारत पहुंचने वाले हैं। कोलंबिया के लिए सिरदर्द बन चुके ‘कोकीन हिप्पो’ को वहां से स्थानांतरित करने की तैयारियां चल रही हैं। कुख्यात मादक पदार्थ तस्कर पाब्लो एस्कोबार के प्राइवेट चिड़ियाघर के ये जानवर काफी बड़े इलाकों में फैल चुके हैं। इनकी आबादी की रोकथाम की कोशिशों के बावजूद ये 130 तक हो गए हैं। कोलंबिया सरकार ने फिलहाल इनमें से 70 दरियाई घोड़ों को बाहर भेजने का फैसला किया है। इनमें से 60 भारत और 10 मैक्सिको को सौंपे जाएंगे। खास बात यह है कि इन्हें एयरलिफ्ट कर भारत भेजने का खर्च कोलंबिया की सरकार उठाएगी।
भारत पहुंचने वाले दरियाई घोड़ों को गुजरात में जामनगर के ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलेशन किंगडम में रखा जाएगा। कोलंबिया के पर्यावरण मंत्रालय ने ‘कोकीन हिप्पो’ को पिछले साल ‘हमलावर प्रजाति’ घोषित किया था। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि इन्हें कोलंबिया से बाहर भेजा जा सकता है। कोलंबिया के अधिकारियों का कहना है कि इन हिप्पो को उनके मूल स्थान अफ्रीका भेजना संभव नहीं है। वहां के पारिस्थितिकी तंत्र से इन्हें परेशानी हो सकती है।

आठ साल में 400 तक होने का अनुमान
मादक पदार्थ तस्कर पाब्लो एस्कोबार ने अस्सी के दशक में दक्षिण अफ्रीका से चार हिप्पो मंगवाकर प्राइवेट चिड़ियाघर में बसाए थे। उसके कारोबार को लेकर इन्हें ‘कोकीन हिप्पो’ कहा जाने लगा। एस्कोबार 1993 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। चिड़ियाघर के इन जानवरों की आबादी आसपास के इलाकों में फैल गई। पर्यावरण एजेंसियों का अनुमान है कि आठ साल में इनकी आबादी 400 तक पहुंच सकती है।

ट्रांसपोर्टेशन की तैयारियां शुरू
कोलंबिया के पर्यावरण प्राधिकरण के प्रवक्ता डेविड एचेवेरी लोपेज ने बताया कि दरियाई घोड़ों को लोहे के बड़े कंटेनर में रखकर ट्रकों के जरिए 150 किलोमीटर दूर रियोनिग्रो शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे ले जाया जाएगा। वहां से इन्हें भारत और मैक्सिको रवाना किया जाएगा। ट्रांसपोर्टेशन लोपेज की निगरानी में होगा।

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