इसके बाद सरकार ने महज खानापूर्ति के लिए ऐसे अभ्यर्थियों से परिवेदना तो ली, लेकिन इस पर सुनवाई अब तक नहीं की है। आरपीएससी ने करीब पांच वर्ष पहले करीब 5600 पदों के लिए भर्ती निकाली थी। चार साल के इंतजार के बाद सरकार ने गत वर्ष इसके लिए सफल अभ्यर्थियों की सूची जारी की और उनको जिले और विभाग आवंटित किए। सरकार ने इसमें गड़बड़ी कर दी और अभ्यर्थियों द्वारा मांगे गए उनके गृह या समीप के जिलों में पोस्टिंग नहीं दी।
इसके चलते कई अभ्यर्थियों को उनके गृह जिले से करीब 300 से 500 किलोमीटर दूर के जिलों में पोस्टिंग दी गई। ऐसे में गत दिनों खासा बवाल मचा तो सरकार ने ऐसे अभ्यर्थियों को उनको आवंटित किए जिलों में ज्वाइन करने के लिए कहा और इसके साथ ही अपने पसंद की जगह जाने के लिए परिवेदना देने के लिए कहा। इसकी सुनवाई के लिए सरकार ने प्रशासनिक सुधार विभाग की एक कमेटी भी बनाई। इस कमेटी के पास करीब 1149 अभ्यर्थियों ने उनकी पोस्टिंग में गड़बड़ी की शिकायत की है।
पति जयपुर में, पत्नी डूंगरपुर जयपुर निवासी लीलावती चौधरी का पति जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में पोस्टेड है। जबकि लीलावती को डूंगरपुर में पोस्टिंग दी गई है। उनका कहना है कि उनके पति जयपुर में है और वे करीब 600 किमी दूर। इसके लिए परिवेदना भी दी गई है, लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई।
दिल्ली सीमा से गुजरात सीमा पर भेजा अलवर निवासी भारती गुप्ता ने बताया कि उन्हें उनके घर से करीब 700 किमी दूर बांसवाड़ा जिले की आनंदपुरी उपखंड कार्यालय में पोस्टिंग दी गई है। जबकि उनसे कम अंक वालों को गृह जिला दिया है। अकेली युवती होने से उन्हें परेशानी होती है। बांसवाड़ा जाने के लिए भी शाम चार बजे बाद कोई बस नहीं मिलती है। सरकार ने जयपुर-अलवर की करीब आधा दर्जन से अधिक युवतियों को बांसवाड़ा और इतनी ही युवतियों को डूंगरपुर में पोस्टिंग दी है। सरकार का यह अजीब निर्णय है। परिवेदना दे रखी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।