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मोदी से लाल किला लिया, अब गहलोत से जयपुर की कौनसी विरासत लेगा डालमिया ग्रुप, जानिए

locationजयपुरPublished: Aug 28, 2019 01:12:35 pm

Submitted by:

Pawan kumar

– गहलोत सरकार डालमिया ग्रुप को देगी ‘पुरानी विधानसभा’!- मोदी सरकार के नक्शे कदम पर गहलोत गर्वमेंट – पुरानी विधानसभा डालमिया भारत ग्रुप को देनेे की तैयारी – डालमिया भारत ग्रुप की टीम ने किया एसएमएस टाउनहॉल का दौरा – 26 अगस्त को सीएमओ टीम ने देखी थी पुरानी विधानसभा

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जयपुर। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार भी अब केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के नक्शे कदम पर चल पड़ी है। मोदी सरकार ने सवा साल पहले लाल किला डालमिया भारत ग्रुप के हाथों में दिया था। अब अशोक गहलोत सरकार पुरानी विधानसभा (सवाई मानसिंह टाउनहॉल) डालमिया भारत ग्रुप को देने जा रही है। 27 अगस्त 2019 को डालमिया भारत ग्रुप की टीम पुरानी विधानसभा का दौरा भी कर चुकी है।
पहले सीएमओ की टीम आई, फिर डालमिया ग्रुप आया
जानकारी के अनुसार दिसम्बर 2018 में प्रदेश में सत्ता बदलते ही पुरानी विधानसभा (एसएमएस टाउनहॉल) में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय का काम रूकने और आगे की योजना को लेकर कवायद शुरू हो गई थी। इसी कड़ी में 26 अगस्त को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका और पर्यटन, पुरातत्व एवं कला संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने पुरानी विधानसभा का दौरा कर यहां के हालात का जायजा लिया। इसके अगले दिन 27 अगस्त को डालमिया भारत ग्रुप की हेरिटेज एंड इवेंट्स एडवाइजर अनिता थापर कठपालिया की अगुवाई में डालमिया ग्रुप की टीम आई। डालमिया ग्रुप की टीम ने सवाई मानसिंह टाउनहॉल भवन को देखा। साथ ही 2011—12 में 45 करोड़ रूपए की लागत से प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी जुटाई। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि गहलोत सरकार अब मोदी सरकार की तर्ज पर पुरानी विधानसभा भवन डालमिया भारत ग्रुप को सौंपने जा रही है। राज्य सरकार और डालमिया भारत ग्रुप के बीच इस योजना को अमलीजामा पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

अब तक 9.62 करोड़ हो चुके बर्बाद
सवाई मानसिंह टाउनहॉल (पुरानी विधानसभा) में 45 करोड़ की लागत से अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने के लिए जर्मनी की कंसल्टेंट फर्म मैसर्स लॉर्ड कल्चरल रिसॉर्सेज को काम सौंपा गया। यहां 2011—12 में अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय का काम शुरू भी करवा दिया गया। लेकिन प्रदेश में दिसम्बर 2013 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद जनवरी 2014 में राज्य सरकार ने मौखिक आदेश से काम बंद करवा दिया था। तब से अब तक यहां काम ठप पड़ा है। जनवरी 2014 में जब काम रोका गया था, तब तक 17 करोड़ 54 लाख रूपए के कार्यादेश जारी किए जा चुके थे, इसमें से 9 करोड़ 62 लाख रूपए खर्च किए जा चुके थे। महालेखा एवं स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग ने यहां खर्च हुए 9 करोड़ 62 लाख रूपए के खर्च को निष्फल व्यय माना है।
5 दशक तक चली थी राज्य विधानसभा

राजधानी जयपुर में हवामहल के पास स्थित सवाई मानसिंह टाउनहॉल बिल्डिंग में 1952 से लेकर अगले 5 दशक तक राजस्थान विधानसभा यहीं पर चली थी। इसलिए सवाई मानसिंह टाउनहॉल को पुरानी विधानसभा भी कहते हैं। विधानसभा का नया भवन बनने के बाद राज्य विधानसभा कार्यालय सवाई मानसिंह टाउनहॉल से शिफ्ट कर दिया गया। तब से ही यह बिल्डिंग सुनसान पड़ी है। जानकारी के अनुसार तत्कालीन महाराजा रामसिंह ने 1887 में टॉउनहॉल का निर्माण करवाया था। सर सैम्यूल स्विंटन जैकब ने टाउनहॉल भवन को डिजाइन किया था। और मीर तुजुमूल हुसैन ने सर जैकब को असिस्ट किया था। सवा सौ साल पुराना एसएमएस टॉउनहॉल राज्य की पहली विधानसभा गठन से लेकर 5 दशक तक प्रदेश की नीति निर्माण का केन्द्र रहा है।
क्या बोले जिम्मेदार-

राज्य सरकार की बजट घोषणा के अनुरूप एसएमएस टाउनहॉल का उपयोग करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। डालमिया ग्रुप की टीम आई थी। पुरानी विधानसभा भवन में क्या बनेगा ये अभी नहीं बता सकती। सरकार के स्तर पर ही फैसला होगा।
श्रेया गुहा, प्रमुख शासन सचिव, पर्यटन, पुरातत्व एवं कला संस्कृति विभाग
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