नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे भारत को पर एक के बाद एक झटका(Economic Crisis) लगा है। अंतरराष्टीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के बाद अब विश्व बैंक(World Bank) यानी वल्र्ड बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर अनुमान(GDP Estimates) को घटा(Reduced) दिया है। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर का अनुमान घटाकर छह फीसदी (6%) कर दिया है। जानकारों के मुताबिक, ऐसा घरेलू मांगों में आई कमी की वजह से किया गया है।
-पिछल वर्ष विकास दर रही 6.9 फीसदी पिछले वित्त वर्ष (2018-19) में भारत की विकास दर 6.9 फीसदी रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष से भारत की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी और 2021 में यह 6.9 फीसदी तक पहुंच सकती है। अनुमान तो यह भी लगाया है कि 2022 में विकास की रफ्तार 7.2 फीसदी तक पहुंच जाएगी। इसी हफ्ते आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान घटा दिया था। आईएमएफ ने अब विकास दर का अनुमान 0.30 फीसदी घटाकर सात फीसदी कर दिया है। उससे पहले रिजर्व बैंक ने भारत की विकास दर का अनुमान 6.8 फीसदी से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया था।
-लगातार दो साल से विकास दर में गिरावट आईएमएफ और वल्र्ड बैंक की सालान बैठक जल्द होने वाली है। इस रिपोर्ट को ठीक उससे पहले प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की विकास दर में लगातार दूसरे साल गिरावट आई है। 2017-18 में विकास दर 7.2 फीसदी रही थी, जो 2018-19 में घटकर 6.8 फीसदी पर पहुंच गई। इस वित्त वर्ष में यह घटकर छह फीसदी पर पहुंच चुकी है।
-कृ षि विकास दर 2.9 फीसदी वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में औद्योगिक उत्पादन विकास दर में बढ़ोतरी हुई है। मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में तेजी से औद्योगिक विकास दर 6.9 फीसदी पर पहुंच गई है, जबकि कृषि विकास दर 2.9 फीसदी और सर्विस सेक्टर में ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी है।
…………………………. -रिपोर्ट : गरीबी में कमी…बेरोजगारी ने बढ़ाई समस्या -गरीबी में कमी जारी है, लेकिन इसकी रफ्तार सुस्त हो गई है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुस्ती और शहरी क्षेत्रों में युवाओं की बेरोजगारी की ऊंची दर ने गरीब परिवारों की समस्याएं बढ़ा दी है।
-2018-19 में चालू खाता घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.1 प्रतिशत हो गया। एक साल पहले यह 1.8 प्रतिशत रहा था। इससे बिगड़ते व्यापार संतुलन का पता चलता है।
-प्रभावी कॉर्पोरेट कर की दर में हालिया कटौती से कंपनियों को मध्यम अवधि में लाभ होगा, लेकिन वित्तीय क्षेत्र में दिक्कतें सामने आती रहेंगी।
…………………………………. -केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वापस लिया मंदी पर बयान देश में आर्थिक मंदी को नकारने के लिए सिनेमा बॉक्स-ऑफिस के संग्रह का हवाला देने को लेकर आलोचनाएं झेलने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रविवार को अपना बयान वापस ले लिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह टिप्पणी मुंबई में होने की वजह से की थी, जो भारत की फिल्म राजधानी है। फिल्म इंडस्ट्री लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करती है और करों के जरिए विशेष योगदान देती है। मुंबई में शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने मंदी के मुद्दे पर कहा था-‘मैं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री था और मुझे फिल्मों का शौक है। फिल्में बड़ा कारोबार कर रही है। दो अक्टूबर को तीन फिल्में रिलीज हुईं और फिल्म समीक्षक कोमल नाहटा ने मुझे बताया कि राष्ट्रीय अवकाश के दिन 120 करोड़ रुपए की कमाई हुई। 120 करोड़ रुपए की कमाई किसी ऐसे देश में ही होती है, जहां की अर्थव्यवस्था अच्छी हो।’
-कांग्रेस ने साधा निशाना कांग्रेस ने इस टिप्पणी को असंवेदनशील करार दिया और कहा कि उन्हें विषय की पूरी जानकारी नहीं है। केंद्रीय मंत्री की इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें निशाना बनाया जाने लगा। इस बयान को लेकर रविशंकर प्रसाद का नाम ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा।
-मीडिया पर मढ़ा दोष रविशंकर प्रसाद ने रविवार को कहा- ‘एक संवेदनशील व्यक्ति होने के कारण मैं अपनी टिप्पणी वापस लेता हूं।’ साथ ही प्रसाद ने आरोप लगाया कि उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया है।
-मंत्रीजी, फिल्मी दुनिया से बाहर निकलिए… उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि यह दुख की बात है कि जब देश में लाखों लोग नौकरियां खो रहे हैं, उनके पैसे पर बैंक कुंडली मारकर बैठे हैं, सरकार को जनता के दुख की फिक्रनहीं है। उसे फिल्मों के मुनाफे की परवाह है। मंत्रीजी, फिल्मी दुनिया से बाहर निकलिए। हकीकत से मुंह मत चुराइए।