लम्बे अरसे से चीन अपने साम्राज्यवादी मंसूबों के कारण भारत को उसके पड़ोसी देशों से अलग-थलग कर रहा है। पाक में सिल्क रोड का निर्माण व ग्वादर बंदरगाह बनाकर पहले ही वहां घुसपैठ कर चुका है। श्रीलंका में हम्बनटोटा बंदरगाह को ९९ साल के लीज पर ले लिया। नेपाल को पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति कर वहां भारतीय तेल कम्पनियों के एकाधिकार को छीन लिया। हाल ही में नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली ने बॉर्डर विवाद पर चीन का पक्ष लिया था।
चीन के पाक में ग्वादर बंदरगाह की काट के लिए भारत ने ईरान में चाहबहार बंदरगाह बनाया है जो अफ्रीका तक पहुंच सुनिश्चित करता है। सऊदी अरब के बाद भारत का सर्वाधिक तेल आयात ईरान से होता है। ईरान भारतीय मुद्रा में भी भुगतान स्वीकार कर लेता है। ईरान भारत का रणनीतिक साझीदार भी है।
भारत ने भी ईरान को यूएलवी पेस्टीसाइड का ऑफर दिया है लेकिन उसने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया। पाक के पास पेस्टीसाइड नहीं है लेकिन उसने चीन से ३ लाख लीटर पेस्टीसाइड का ऑर्डर दिया है। चीनी पेस्टीसाइड की गुणवत्ता को लेकर भारत को संदेह है।