घरों से समेटने लगे सामान – सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जयपुर विकास प्राधिकरण, नगर निगम और जिला प्रशासन के सख्त रवैये को देखते हुए लोग बाग यहां से जाने लगे हैं। प्रशासन से आज शाम तक का अल्टीमेटम मिलने के बाद अब बस्ती खाली होना शुरू हो गई है। लोग बाग सुबह से ही अपने घरों से सामान समेटने में लगे हैं। हर कोई अपना सामान पुनर्वास वाली जगह पर शिफ्ट करने में जुटा नजर आया। बरसों से यहां रह रहे लोगों के चेहरे पर यहां से जाने का दर्द साफ तौर पर नजर आ रहा है। बस्ती में निराशा का माहौल है। लोगों का कहना है कि यहां पर रहते हुए लम्बा अर्सा हो गया, इसलिए बस्ती को छोड़कर जाना मुश्किल लग रहा है।
500 परिवारों का होना है पुनर्वास – जेडीए खड्डा बस्ती के 500 परिवारों का पुनर्वास कर रहा है। जानकारी के अनुसार बस्ती के 551 परिवारों को यहां से हटाना है। इनमें से 500 परिवारों बस्ती से हटने और पुनर्वास का लाभ लेने की सहमति दे दी है। इन 500 परिवारों को जयसिंहपुरा खोर, पालड़ी मीणा और वॉम्बे योजना में बने बीएसयूपी आवासों में स्थानांतरित किया जा रहा है। खड्डा बस्ती के लोगों को निर्माण लागत की 10 प्रतिशत राशि पर आवास मुहैया करवाए जा रहे हैं। बीएसयूपी योजना के तहत जयसिंहपुरा खोर, पालड़ी मीणा और वॉम्बे योजना में 2,829 आवास बनाए गए हैं। इन आवासों में जयपुर शहर से हटाई जाने वाली 14 कच्ची बस्तियों को शिफ्ट किया जाना है, जिनमें खड्डा बस्ती भी शामिल है।
सुविधाएं नहीं होने का आरोप – खड्डा बस्ती के लोगों का आरोप है कि जेडीए जो आवास मुहैया करवा रहा है, वहां पर घरों में बिजली और पानी कनेक्शन नहीं है। इसके कारण लोगों को वहां शिफ्ट होने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहां पर पुनर्वास किया जा रहा है वहां पर ना तो कोई कब्रिस्तान है और ना ही कोई श्मशान। ऐसे में यदि किसी बड़े—बुजुर्ग की मौत होती है, तो उसे कहां दफनाया जाएगा।
खाली नहीं हुई तो कार्रवाई – कल यदि खड्डा बस्ती के लोगों ने यहां से मकान खाली नहीं किए तो कल जेडीए और नगर निगम मिलकर यहां कार्रवाई करेंगे। खड्डा बस्ती में कल जेडीए की कार्रवाई प्रस्तावित है। लेकिन अंतिम फैसला आज शाम तक ही हो पाएगा। यदि लोगों ने खुद ही बस्ती को खाली कर दिया तो जेडीए को कार्रवाई करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फिर सिर्फ मकानों को ही ढहाने का काम बचेगा, जो जेडीए अपनी सुविधानुसार कर सकता है।