पुलिस का कहना है भांकरोटा निवासी सायरा बानो ने मामला दर्ज करवाया कि उसकी शादी इस्लाम से करीब बीस साल पहले हुई थी. इस्लाम वर्तमान में कबाडी का काम करता है. वह लम्बे समय से नशे का आदी है.और नशे में वह आए दिन उससे मारपीट करता था. पिछले कुछ समय से वह महिला से अलग रहने लगा.कुछ समय गुजर जाने के बाद जब महिला ने उसे अपने साथ रखने को कहा तो इस्लाम से उसे तीन तलाक बोल दिया.
तलाक के बाद महिला ने पुलिस से गुहार लगाई है. जांच अधिकारी एसआइ सुरेंद्रसिंह ने बताया कि घटना करीब 15 दिन पहले की है.वही इस्लाम करीब डेढ़ माह से महिला से अलग रह रहा था.वर्तमान में उसके किसी महिला के साथ करौली में रहने की बात सामने आ रही है.
आपको बता दे 26 जुलाई 2019 को संसद ने मुस्लिम महिला विवाद अधिकार संरक्षण विधेयक 2019 पारित किया. यह कुप्रथा एक अगस्त से कानूनन जुर्म भी बन गया. अब तीन बार तलाक बोलकर, लिखकर या एसएमएस-ईमेल भेजकर शादी तोड़ने वाले को तीन साल की जेल का प्रावधान कर दिया गया है. उलेमा ने जहां इस कानून का विरोध किया, वहीं मुस्लिम महिलाओं ने इसका स्वागत किया.
देश की सबसे बड़ी अदालत में लड़ी गई इस कानूनी लड़ाई को अपने अंजाम तक पहुंचाने में कई महिलाओं का संघर्ष शामिल रहा है. इनमें सबसे अहम नाम है उत्तराखंड की सायरा बानो का जो इस मामले को सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट लेकर गई थीं. उनके अलावा जयपुर की आफरीन रहमान, गुलशन परवीन, इशरत जहां और अतिया साबरी भी उन महिलाओं में है जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद की. इनमें से किसी को फोन पर तलाक मिला था, किसी को स्पीड पोस्ट से, किसी को स्टांप पेपर पर तो किसी को कागज के एक टुकड़े पर.
जयपुर की आफरीन रहमान ने भी तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.उन्होंने बताया था कि इंदौर में रहने वाले उनके पति ने स्पीड पोस्ट के जरिए तलाक दिया है, जो सही नहीं है. आफरीन ने कोर्ट से न्याय की मांग की थी. आफरीन का आरोप था कि उनके पति समेत ससुराल पक्ष के दूसरे लोगों ने मिलकर दहेज की मांग को लेकर उनके साथ काफी मारपीट की और फिर उन्हें घर से निकाल दिया.