उधर पुरूष किसानों के बाद महिला किसानों की जमीन समाधि से राज्य सरकार और जेडीए की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। गौरतलब है कि नीदड़ के किसान जेडीए की अवाप्ति प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं। जेडीए को जमीन पर कब्जा लेने से रोकने के लिए किसान एकजुट होकर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों ने मिट्टी समाधि लेकर जेडीए को बता दिया है कि जमीन पर कब्जा लेना इतना आसान नहीं होगा। किसानों के तेवर देखते हुए जेडीए के लिए जमीन पर कब्जा लेना इतना आसान नजर नहीं आ रहा।
आपको बता दें कि जेडीए ने पिछले दिनों 16 सितम्बर को नींदड योजना के तहत यहां के १५ बीघा जमीन को अपने कब्जे में लेकर सड़क बना दी थी, जिसके विरोध में स्थानीय किसान आंदोलन पर उतर गए। तो वहीं आंदोलन कर रहे किसानों को जेडीए जमीन खाली करने के लिए नोटिस भी जारी कर चुका है। दरअसल, जानकारी के अनुसार जेडीए को आवासीय योजना के लिए नींदड़ में 1,350 बीघा जमीन अवाप्त करनी है। इसमें से करीबन 600 बीघा पर जेडीए का मालिकाना हक हो गया है। जबकि 700 बीघा से ज्यादा जमीन किसानों के पास है।
तो वहीं किसानों ने इस जमीन के लिए मुआवजा नहीं लिया है। इसे देखते हुए जेडीए ने मुआवजा कोर्ट में जमा करवा दिया। अब जेडीए किसानों को मुआवजा भुगतान मानते हुए जमीन समाधि सत्याग्रह पर कब्जा लेना चाहता है। जबकि किसानों जेडीए के खिलाफ आंदोलन को और तेज कर दिया है।