अजमेर , अलवर और मांडलगढ़ उपचुनाव मौजूदा सरकार के लिए अगले विधानसभा चुनाव के हिसाब से सेमीफाइनल साबित हो सकता है। लिहाजा सरकार के निर्देश पर सरकारी एजेंसियों ने पार्टी की हार जीत के गणित का गोपनीय सर्वे भी करना शुरू कर दिया है। सर्वे के हिसाब से मिल रहे फीडबैक को सरकारी एजेंसियां उच्च स्तर पर भेज रही हैं। बताया जा रहा है कि चुनाव से पहले सरकारी एजेंसियां सत्तारूढ पार्टी के लिए सर्वे करती हैं और अपनी रिपोर्ट देती है।
जहां भाजपा दो लोकसभा सीट व एक विधानसभा सीट पर बीते साढ़े तीन साल में केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से किए गए विकास कार्यों के दम पर वोट लेने की तैयारी में है। वहीं कांग्रेस इन तीनों ही सीटों पर विकास नहीं होने के आधार पर वोट मांगने की तैयारी में है। जहां अजमेर में सांसद सांवरलाल जाट कद्दावर नेता थे, वहीं इस सीट से सचिन पायलट सांसद बन कर मंत्री रह चुके हैं। पायलट भी कई बार उनके मंत्री रहते हुए अजमेर में हुए विकास कार्यों को लेकर कह चुके हैं कि कांग्रेस के समय अजमेर का चौतरफा विकास हुआ था। वहीं अलवर में भी कांग्रेस विकास नहीं होने के नाम पर मैदान में उतर रही है। अलवर से पूर्व सांसद भंवर जितेन्द्र सिंह पार्टी के उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन पार्टी ने अभी यहां भी उम्मीदवार का खुलासा नहीं किया है। वहीं मांडलगढ सीट पर भी ऐसा ही हाल है।
चूंकि अभी चुनाव आयोग की ओर से इन तीनों ही सीटों पर उपचुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। वहीं भाजपा और कांग्रेस ने इन तीनों सीटों पर कौन पार्टी की ओर से उम्मीदवार होगा, यह तय नहीं किया है, लेकिन दोनों ही पार्टियों में सियासी घमासान शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री बारी-बारी से तीनों सीटों का दौरा करेंगी तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट व उनकी टीम भी मैदान में उतर गई है और चुनावी हार जीत के समीकरण बैठाने शुरू कर दिए हैं।