scriptMargashirsha Purnima 2020: दुश्वारियों के कारण मन रहता है अशांत तो पूर्णिमा पर करें छोटा सा यह उपाय, दूर होंगे दुख, मिलेगी शांति | Aghan Purnima 2020 Importance Of Purnima Margashirsh Purnima 2020 Date | Patrika News

Margashirsha Purnima 2020: दुश्वारियों के कारण मन रहता है अशांत तो पूर्णिमा पर करें छोटा सा यह उपाय, दूर होंगे दुख, मिलेगी शांति

locationजयपुरPublished: Dec 24, 2020 12:50:52 pm

Submitted by:

deepak deewan

मार्गशीर्ष यानि अगहन माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पूर्णिमा पर स्नान, दान का महत्व माना गया है। इस दिन भगवान शिव के साथ ही चंद्रदेव की भी आराधना की जाती है। पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा करने का विधान है। इसे बहुत शुभ फलदायी बताया गया है। सत्यनारायण कथा से दुख दूर होते हैं और सुख प्राप्त होने लगते हैं।

Aghan Purnima 2020 Importance Of Purnima Margashirsh Purnima 2020 Date

Aghan Purnima 2020 Importance Of Purnima Margashirsh Purnima 2020 Date

जयपुर. मार्गशीर्ष यानि अगहन माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पूर्णिमा पर स्नान, दान का महत्व माना गया है। इस दिन भगवान शिव के साथ ही चंद्रदेव की भी आराधना की जाती है। पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा करने का विधान है। इसे बहुत शुभ फलदायी बताया गया है। सत्यनारायण कथा से दुख दूर होते हैं और सुख प्राप्त होने लगते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप अर्थात सभी कलाओं से युक्त होता है। चंद्रमा को मन का कारक माना गया है इसलिए लोगों पर इसका प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है। कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति शांत और सुखी रहता है। चंद्रमा कमजोर हो तो अशांत रहता है। ऐसे लोगों को मानसिक शांति के लिए पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा जरूर करनी चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र में भी पूर्णिमा को एक विशेष तिथि के तौर पर देखा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई के अनुसार इस दिन सूर्य और चंद्रमा समसप्तक होते हैं यानि एक-दूसरे के ठीक आमने-सामने होते हैं। सूर्य यानि नवग्रहों के राजा और चंद्रमा का यह दृष्टि संबंध बहुत शुभ माना गया है। इस दिन लक्ष्मीजी की विधि विधान से पूजा जरूर करना चाहिए। इससे आर्थिक मजबूती प्राप्त होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार पूर्णिमा पर सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करें, उन्हें पुष्प, मिष्ठान्न आदि अर्पित करें। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और देवी लक्ष्मी की पूजा करें। श्रीसूक्त के 16 श्लोकों का पाठ करें, संभव हो तो श्रीसूक्त के 16 श्लोकों का पाठ 16 बार करें।
इस साल मार्गशीर्ष अथवा अगहन पूर्णिमा 30 दिसंबर को है जोकि साल की आखिरी पूर्णिमा है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 29 दिसंबर को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि समाप्त 30 दिसंबर को रात 8 बजकर 59 मिनट पर
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत और पूजन 30 दिसंबर को
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