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Margashirsha Purnima 2020 दैवीय अनुकंपा का दिन, त्वरित फल पाने के लिए शाम को इस तरह करें लक्ष्मी पूजा

locationजयपुरPublished: Dec 29, 2020 04:27:33 pm

Submitted by:

deepak deewan

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा का दिन अत्यन्त पवित्र होता है। इसे अगहन पूर्णिमा भी कहते हैं। इस बार अगहन पूर्णिमा 30 दिसंबर को है जोकि सन 2020 की अंतिम पूर्णिमा भी होगी। 29 दिसंबर को भी पूर्णिमा मनाई जा रही है। पूर्णिमा व्रत और पूजा मंगलवार को ही होगी लेकिन उदया तिथि होने से 30 दिसंबर को स्नान दान का महत्व है।

Aghan Purnima Kab Hai Margashirsha Purnima 2020 Laxmi Puja Vidhi

Aghan Purnima Kab Hai Margashirsha Purnima 2020 Laxmi Puja Vidhi

जयपुर. मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा का दिन अत्यन्त पवित्र होता है। इसे अगहन पूर्णिमा भी कहते हैं। इस बार अगहन पूर्णिमा 30 दिसंबर को है जोकि सन 2020 की अंतिम पूर्णिमा भी होगी। 29 दिसंबर को भी पूर्णिमा मनाई जा रही है। पूर्णिमा व्रत और पूजा मंगलवार को ही होगी लेकिन उदया तिथि होने से 30 दिसंबर को स्नान दान का महत्व है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि पूर्णिमा तिथि पर चन्द्रमा पूर्ण रूप में होता है। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा समसप्तक होते हैं अर्थात एक—दूसरे पर दृष्टि डालते हैं। इससे दोनों के शुभ फल प्राप्त होते हैं। पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्रमा ही होते हैं। इस दिन शिव पूजा और चंद्र देव की पूजा करने से मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। चन्द्रमा को इसी दिन अमृत से सिंचित किया गया था, इसलिए भी चन्द्र पूजा का महत्व है।
ज्योतिषाचार्य पंडित जीके मिश्र के मुताबिक पूर्णिमा तिथि को दैवीय अनुकंपा का दिन माना जाता है। इस दिन की गयी पूजा या प्रार्थना का फल अवश्य मिलता है। इस बार पूर्णिमा पर चंद्रमा, मंगल और शुक्र की स्थिति बहुत अच्छी है। पूर्णिमा को पूजा और दान करने से जहां चन्द्रमा की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी वहीं मंगल के शुभ प्रभाव से संपत्ति प्राप्त होगी। शुक्र की शुभता के कारण प्रेम और भौतिक सुख प्राप्त होगा।
सुबह स्नान कर सूर्यदेव को जल अर्पित करें, फिर शिवजी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। दिनभर उपवास रखें, शिव, विष्णुजी और माता लक्ष्मी की पूजा करें। शाम को लक्ष्मीजी की विधिपूर्वक पूजा करें। लक्ष्मीजी को 16 कमलगटटा अर्पित करें और पूर्ण विश्वास से श्रीसूक्त की प्रारंभिक 16 ऋचाओं का पाठ करें। संभव हो तो श्रीसूक्त की 16 ऋचाओं का पाठ 16 बार करें।
शाम को संभव हो तो दोबारा स्नान कर साफ सफेद वस्त्र पहनें और शिवजी तथा चंद्रमा की पूजा करें। शिवजी के सरल मंत्र ओम नम: शिवास का अधिक से अधिक जाप करें। मंत्र जाप के बाद जरूरतमंदों को सफेद वस्तुओं का दान करें। रात्रि में चन्द्रमा को अर्घ्य दें। जल में तुलसी के पत्ते डालें और अक्षत व दूध भी मिलाएं। अर्घ्य देने के बाद चंद्रदेव से सुख—शांति प्रदान करने की प्रार्थना करें।
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