scriptअब कुपोषण दूर करेगा बाजरा, कृषि विवि ने विकसित की नई किस्म | Agricultural University MPMH-17 millet scientists research | Patrika News

अब कुपोषण दूर करेगा बाजरा, कृषि विवि ने विकसित की नई किस्म

locationजयपुरPublished: Jan 17, 2020 05:28:14 pm

Submitted by:

Ashish

Agricultural University : कृषि वैज्ञानिक इस तरह के अनुसंधान में जुटे हुए हैं, जिसमें कम पानी, लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।

agricultural-university-mpmh-17-millet-scientists-research

अब कुपोषण दूर करेगा बाजरा, कृषि विवि ने विकसित की नई किस्म

जयपुर/जोधपुर
Agricultural University : कृषि वैज्ञानिक इस तरह के अनुसंधान में जुटे हुए हैं, जिसमें कम पानी, लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके। कृषि उपज में पोषक तत्वों की प्रधानता हो। फसल रोग रहित हो। ताकि वो बिना किसी नुकसान के हमारी खाद्य जरूरतों को पूरा कर सकें। हाल ही में जहां केन्द्रीय चावल अनुसंधान केन्द्र ने चावल की ऐसी किस्म विकसित की हैं, जिनमें जिंक की प्रधानता होती है। वहीं, अब जोधपुर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में बाजरे की ऐसी किस्म विकसित की है, जो हाइब्रिड होने के साथ ही कुपोषण खत्म करने में कारगर साबित होगी। दरअसल, मण्डोर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में बाजरे की नई किस्म विकसित की गई हैं। विकसित की गई बाजरा की ये हाइब्रिड नई किस्म किसानों को राहत देने वाली साबित होगी। विवि में तैयार बाजरा की एमपीएमएच-17 किस्म पौष्टिकता और गुणवत्ता के कारण किसानों को मालमाल कर देगी। इतना ही नहीं, नई किस्म में पोषक तत्वों की प्रधानता होगी। यानि इन नई किस्मों में आयरन के साथ ही जिंक तत्वों की अधिकता पाई जाती है। ये दोनों ही तत्व अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। आयरन जहां खून बनाता है तो वहीं जिंक हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ ही कुपोषण को खत्म करता है।
बीज तैयार करने की तैयारी
इन किस्मों की मांग को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालय इस बार 200 क्विंटल हाइब्रिड बाजरा के बीज पैदा करेगा। यह किस्म पश्चिमी राजस्थान के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में अधिक उत्पादन देने में सक्षम है। इस किस्म का सिट्टा बालों युक्त तथा दाना पीला-भूरा गोलाकार होता है, जो खाने में स्वादिष्ट होता है। दरअसल, केन्द्र सरकार ने बाजरा की सर्वाधिक उत्पादकता को देखते हुए राजस्थान में जोधपुर और पाली के सुमेरपुर में दो सीड हब बनाने का निर्णय किया था, जो निर्माणाधीन है। सीड हब में बाजरा की विभिन्न किस्मों, उनकी गुणवत्ता सुधार, उन्नत बीज उत्पादन व वितरण का काम होगा। पूरे देश में बाजरे का करीब 70-90 लाख हैक्टेयर क्षेत्र है। इनमें सर्वाधिक बाजरा राजस्थान में करीब 50 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में होता है।
राजस्थान पहले नंबर पर
दरअसल, बाजरे के उत्पादन में भारत में राजस्थान पहले पायदान पर है। पश्चिमी राजस्थान में खासतौर पर बाजरे की खेती अच्छे एरिया में की जाती है। यहां पानी की कमी के चलते कृषि वैज्ञानिकों की यह कोशिश रहती है कि ऐसी किस्म विकसित की जाए, जो कम पानी में ज्यादा उत्पादन दे। ऐसे विकसित की गई इस हाइब्रिड किस्म की एक खास बात यह है कि ये अधिक तापमान सहन करने में सक्षम है। इस किस्म के बाजरे के पौधों की ऊंचाई 2.5 फीट की होती हैं। इसके सिट्टे रोंयेदार होते हैं। यह पश्चिमी राजस्थान की जलवायु के अनुकूल है। कृषि विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ एमएल मेहरिया ने बताया कि इस नई किस्म के बीज की बिजाई के लिए जरूरी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अगले महीने एमपीएमएच-17 किस्म की बुवाई शुरू कर दी जाएगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो