कृषि मंत्री डॉ प्रभुलाल सैनी ने कहा..
कृषि मंत्री डॉ प्रभुलाल सैनी ने बताया कि इस बदलाव के बाद अब किसान की मौत होने पर अगर तीन महीने में विसरा रिपोर्ट नहीं आती है तो कृषक परिवार को योजना के तहत दो लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी।
कृषि मंत्री डॉ प्रभुलाल सैनी ने बताया कि इस बदलाव के बाद अब किसान की मौत होने पर अगर तीन महीने में विसरा रिपोर्ट नहीं आती है तो कृषक परिवार को योजना के तहत दो लाख रुपए की सहायता राशि दी जाएगी।
मृतक किसान के परिजनों को योजना के तहत..
आपको बता दें कि अब तक सांप के काटने या दवा छिड़कते वक्त दवा के प्रभाव से होने वाली मौत पर विसरा रिपोर्ट आने पर ही मृतक किसान के परिजनों को योजना के तहत सहायता राशि का लाभ मिलता था।
आपको बता दें कि अब तक सांप के काटने या दवा छिड़कते वक्त दवा के प्रभाव से होने वाली मौत पर विसरा रिपोर्ट आने पर ही मृतक किसान के परिजनों को योजना के तहत सहायता राशि का लाभ मिलता था।
अब नियमों में बदलाव के बाद..
विसरा रिपोर्ट के आने में कई महीनों का समय लगने के कारण मृतक किसान के परिवार को सहायता राशि मिलने में देरी होती थी। लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद किसान, कृषि मजदूर, पल्लेदार और तोलेदारों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा।
विसरा रिपोर्ट के आने में कई महीनों का समय लगने के कारण मृतक किसान के परिवार को सहायता राशि मिलने में देरी होती थी। लेकिन अब नियमों में बदलाव के बाद किसान, कृषि मजदूर, पल्लेदार और तोलेदारों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा।
पिछले 3 साल में प्रदेश में..
विसरा रिपोर्ट को समय से भिजवाने के लिए गृह विभाग को भी लिखा गया है। पिछले 3 साल में प्रदेश में 11 हजार किसान परिवारों को 129 करोड़ की सहायता राशि योजना के तहत उपलब्ध करवाई गई है।
विसरा रिपोर्ट को समय से भिजवाने के लिए गृह विभाग को भी लिखा गया है। पिछले 3 साल में प्रदेश में 11 हजार किसान परिवारों को 129 करोड़ की सहायता राशि योजना के तहत उपलब्ध करवाई गई है।
आखिर विसरा जांच क्या है और इसकी जरुरत कब पड़ती है?
अगर मौत संदिग्ध लगे यानी जहर देने की आशंका हो तो विसरा की जांच की जाती है। कानूनी जानकारों के मुताबिक, अगर मौत संदिग्ध परिस्थिति में हो और अंदेशा हो कि जहर से मौत हुई है तो विसरा की जांच की जाती है। जब भी संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो तो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के साथ-साथ कई बार विसरा की जांच की जाती है।
अगर मौत संदिग्ध लगे यानी जहर देने की आशंका हो तो विसरा की जांच की जाती है। कानूनी जानकारों के मुताबिक, अगर मौत संदिग्ध परिस्थिति में हो और अंदेशा हो कि जहर से मौत हुई है तो विसरा की जांच की जाती है। जब भी संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो तो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के साथ-साथ कई बार विसरा की जांच की जाती है।