Durgapura Agricultural Research Center : आधुनिक कृषि में फसलों को कीट बीमारी एवं खरपतवारों से बचाने के साथ ही पैदावार बढ़ाने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है। फफूंदीनाशक और खरपतवार नाशकों का भी प्रयोग किया जा रहा है। इनका अंधाधुंध इस्तेमाल हमारी सेहत के लिए नुकसान दायक है। इनके अत्याधिक प्रयोग से कीटनाशकों केअवशेष हमारी खाद्य श्रंखला में अवांछित रूप से बढ़ रहे है। ये चिंता का विषय है। यह बात शनिवार को दुर्गापुरा स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र में शुरू हुई कांफ्रेंस में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कही। कृषि मंत्री ने कहा कि हमारे किसान भाई, आमदनी बढाने के लिए जो अंधाधुंध रूप से कीटनाशियों का उपयोग कर रहें है वो मानव और धरती माता के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है।
कृषि मंत्री ने अखिल भारतीय पीड़कनाशी अवशेष नेटवर्क परियोजना के अन्तर्गत आयोजित कार्यशाला में कहा कि कीटनाशकों के अत्याधिक इस्तेमाल सेमनुष्य में गुर्दे यकृत एवं कैंसर जैसी बीमारियों को बढावा मिल रहा है। कैंसर की बीमारी भी राज्य में तेजी से बढ रही है। अब किसान को जैविक एवं परम्परागत खेती की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे की पर्यावरण, मानव एवं मृदा स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ गुणवत्ता युक्त कृषि की तरफ बढा जा सके।
कुलपति ने किया आह्वान
साथ ही इस अवसर पर मंत्री ने बताया कि वर्षा जल का संरक्षण एवं समुचित उपयोग करके किसान खेती को लाभदायक बना सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विष्वविद्यालय, जोबनेर के माननीय कुलपति डाॅ. जे.एस. संधु ने कृषि वैज्ञानिकों से यह आ्ह्रवान किया कि वो कृषि में उपयोग होने वाले रसायनों का प्रयोग पूर्ण जानकारी, सही समय एवं उचित मात्रा में करने की सलाह किसानों को देंवे।
किसानों को बांटे सुरक्षा किट
कार्यक्रम में कृषि मंत्री कटारिया ने उपस्थित किसानों को पीड़कनाशी के प्रयोग के समय काम आने वाले सुरक्षा किट का भी वितरण किया। कार्यशाला में राज्य के विभिन्न जिलों से आए किसानों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम को राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डाॅ. सुदेश कुमार, परियोजना प्रभारी डाॅ. ए.आर.के. पठान एवं जैविक खेती से जुडे हुए प्रगतीशील किसान भंवर सिंह पीलीबंगा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।