विशेषज्ञों का कहना है एड्स रोगियों को यह जानकारी दी। संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ. रविकांत पोरवाल ने कहा कि एचआईवी एक वायरस है और एड्स एक उच्चावस्था है, जहां पर एचआईवी इंफेक्शन अंतिम चरण में पहुंच जाता है। दोनों एक दूसरे से अदला बदली नहीं करते हैं, क्योंकि एक दूसरे से बिल्कुल अलग है। एक व्यक्तिजिसे एचआईवी है, वह जीवनभर सही तरीके से दवा लेने पर एड्स की स्थिति में नहीं पहुंच सकता है। समय से पहले उसकी पहचान और इलाज से बचा जा सकता है, इसके लिए जरूरी है कि इस बारे में लोगों को शिक्षित करें और उन्हें जागरूक करें।
डॉ. पोरवाल ने बताया कि पहले मान लिया जाता था कि एचआईवी है तो मौत निश्चित है, लेकिन आधुनिक विज्ञान की कुछ थैरेपी जैसे एंटी एचआईवी दवा, जिसे हार्ट (हाइली एक्टिव एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट) कहा जाता है, के जरिए स्थिति नियंत्रण किया जा सकता हैं और एक आम की तरह सामान्य जीवन डॉक्टर की निगरानी में जी सकता है। दुनियाभर की कई संस्थान इस महामारी को नियंत्रित करने के लिए काम कर रही है।
दुनिया में भारत का तीसरा नंबर -:
एचआईवी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन बीमारी से संबंधित चिकित्सा विज्ञान और अनुसंधान में प्रगति के कारण एचआईवी रोगी अब सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जीने लगे हैं। करीब 21 लाख एचआईवी रोगियों के साथ भारत दुनिया में तीसरा सबसे अधिक एचआईवी संक्रमित देश है। इलाज खर्च कम करना, बीमारी के बारे में जागरूकता, गर्भनिरोधक के तरीकों को बढ़ावा देने, स्कूल में यौन शिक्षा और महिलाओं की बेहतर देखभाल से इस बीमारी से लड़ा जा सकता है।
एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी करती है साइड इफेक्ट कम -:
डॉ. रविकांत पोरवाल ने बताया कि गोली के रूप में प्रभावी इलाज के तरीके हैं। यदि आप जल्दी इलाज चाहते हैं तो केवल एक टेबलेट से इलाज करना अब संभव है, जो आसान और कम खर्चीला है। हाइली एक्टिव एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट के जरिए इस बीमारी को बढऩे से रोका जा सकता है। नई एंटी रेट्रोवायरल थैरेपी के जरिये इसके साइड इफेक्ट कम हो गए है और दवाओं की क्षमता भी अधिक हो गई है।