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जयपुर

पर्यावरण ही नहीं हमारी खुशियों को भी प्रभावित करता है वायु प्रदूषण

पर्यावरण ही नहीं हमारी खुशियों को भी प्रभावित करता है वायु प्रदूषण
हाल ही चीन के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में साबित किया कि वायु प्रदूषण का हमारे खुश रहने पर भी नकारातमक प्रभाव पड़ता है

जयपुरJul 17, 2019 / 03:59 pm

Mohmad Imran

पर्यावरण ही नहीं हमारी खुशियों को भी प्रभावित करता है वायु प्रदूषण

हाल ही चीन के वैज्ञानिकों ने अपने शोध में साबित किया कि वायु प्रदूषण का हमारे खुश रहने पर भी नकारातमक प्रभाव पड़ता है

भारत की तरह पड़ोसी चीन भी उच्च प्रदूषण से निपटने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है। प्रदूषण के कारण चीन के बड़े शहरों की अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट आ रही है। हाल ही चीन के हांगकांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि देश में वायु प्रदूषण से हर साल औसतन 11 लाख (1.1 मिलियन) लोगों की असामयिक मृत्यु हो जाती है। इतना ही नहीं प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष चीन की अर्थव्यवस्था को 3800 करोड़ (38 बिलियन डॉलर) रुपए का आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। हाल ही हुए एक अन्य शोध में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के शोधकर्ताओं ने बताया कि वायु प्रदूषण के कारण चीन के विभिन्न शहरों की आबादी की खुशी का स्तर भी घटा है।
प्रदूषण ज्यादा तो खुशी कम
जर्नल नेचर ह्यूमन बिहेवियर में हाल हील प्रकाशित एक शोधपत्र में एमआइटी शोध दल की ए सिकी झेंग के नेतृत्व में शहरी अध्ययन और योजना विभाग की ओर से यह शोध किया गया था। इसमें विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर सैमुअल टाक ली भी शामिल थे। शोध से पता चलता है कि किसी शहर में प्रदूषण का उच्च स्तर वहां के लोगों की खुशी के निम्न स्तर का कारण है। इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 प्रतिशत की मजबूत आर्थिक विकास दर के बावजूद चीन की शहरी आबादी में संतुष्टि का स्तर उतना नहीं बढ़ा है जितना कि उम्मीद की जा रही थी। शोध के अनुसार अपर्याप्त सार्वजनिक सेवाओं, आसमान छूतीं आवासीय कीमतें, खाद्य सुरक्षा, बढ़ते प्रदूषण पर चिंता, औद्योगिक उपयोग में कोयले की प्रचुरता और वाहनों से प्रतिवर्ष बढ़ रहे कार्बन उत्सर्जन के कारण शहरी क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे पूर्व के शोध बताते हैं कि प्रदूषण से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों, कार्य क्षमता घटना, श्रम उत्पादकता में कमी और शैक्षिक परिणामों पर भी बुरा असर डाल रहे हैं।

मानव व्यवहार पर पड़ता असर
झेंग के अनुसार वायु प्रदूषण का लोगों के सामाजिक जीवन और व्यवहार पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों से बचने के लिए लोग कम प्रदूषित शहरों या कस्बों की ओर रुख कर सकते हैं। सुरक्षा को ध्यान में रखकर फेस मास्क और एयर प्यूरीफायर का उपयोग कर सकते हैं। इतना ही नहीं वे बाहर निकलना भी कम कर सकते हैं। इतना ही नहीं यह लोगों की भावनाओं पर भी असर डालता है। प्रदूषण से परेशान व्यक्ति जल्दबाजी में तर्कहीन निर्णय कर सकते हैं। झेंग का कहना है कि जिन दिनों प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है उस दिन लोगों को गुस्सा ज्यादा आता है और ऐसे में उनके जोखिम भरा कदम उठाने की आशंका अधिक होती है। इससे लोगों में अल्पकालिक अवसाद और चिंता के लक्ष्ण भी देखे गए हैं। शोध के लिए शोधकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर रियल टाइम डेटा का उपयोग कर यह पता लगाया कि बदलते दैनिक प्रदूषण का स्तर चीन के 144 शहरों में लोगों की खुशी को कैसे प्रभावित करता है।

21 करोड़ ट्वीट्स का अध्ययन
एसोसिएट प्रोफेसर सैमुअल टाक ली का कहना है कि पहले खुशी को मापने के लिए आमतौर पर प्रश्नावली का उपयोग किया जाता था। हालांकि ऐसे सर्वेक्षण केवल एक धुंधली तस्ीवर ही पेश किया करते थे। क्योंकि लोगों की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग दिन अलग हो सकती हैं। लेकिन सोशल मीडिया लोगों की खुशी को मापने के लिए रियल टाइम डेटा उपलब्ध कराता है। साथ ही एक ही समय में एक साथ अलग-अलग शहरों के लोगों की राय भी इसमें शुमार की जा सकती है।
शोधकर्ताओं ने चीन के पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी दैनिक वायु गुणवत्ता आंकड़ों एवं रीडिंग से शहर के वातावरण में मौजूद ‘अल्ट्रा फाइन पार्टिक्युलेट मैटर’ के स्तर की जानकारी का इस्तेमाल किया। एयरबोर्न पार्टिकुलेट मैटर या पीएम हाल के वर्षों में शहरों में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण बन गया है। पीएम 2.5 व्यास वाले 2.5 पीएम कण विशेष रूप से लोगों में फेफेड़ों के कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं। प्रत्येक शहर में लोगों की दैनिक खुशी के स्तर को मापने के लिए टीम ने चीन के सबसे बड़े माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ‘सिना वेइबो’ (ट्विटर का चीनी संस्करण) से 21 करोड़ (210 मिलियन) ट्वीट का मशीन-लर्निंग एल्गोरिद्म से विश्लेषण किया।

महिलाएं ज्यादा संवेदनशील
शोधकर्ताओं ने प्रत्येक ट्वीट में पोस्ट की भावना को मापने के लिए मशीन से प्रशिक्षित भावना का विश्लेषण करने वाला एल्गोरिदम काम में लिया। फिर उन्होंने उस शहर और दिन के लिए खुशी के औसत मूल्य की गणना की। 0 से 100 के स्केल पर शोधकर्ताओं ने खुशी को मापा। शून्य यानि बहुत ही नकारात्मक मनोदशा और 100 बेहद सकारात्मक मनोस्थिति का संकेत देता है। अंत में, शोधकर्ताओं ने इस सूचकांक को दैनिक पीएम 2.5 कण और मौसम डेटा के साथ मिला दिया। शोधकर्ताओं ने प्रदूषण और खुशी के स्तर के बीच काफी नकारात्मक सहसंबंध पाया। पुरुषों की तुलना में महिलाएं उच्च प्रदूषण स्तर के प्रति ज्यादा संवेदनशील थीं। इसी क्रम में एक नए अध्ययन से पता चलता है कि लोग जितने अधिक प्रदूषण के संपर्क में थे वे उतने ही कम खुश थे। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि वे लोग जो अपने स्वास्थ्य और वायु की गुणवत्ता के बारे में विशेष रूप से चिंतित हैं वे स्वच्छ शहरों की ओर रुख करते हैं। जबकि बहुत गंदे शहरों में रहने वाले लोग प्रदूषकों के दीर्घकालिक जोखिम से उनके स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के बारे में अधिक जानते हैं।

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