ये दो महीने ज्यादा प्रदूषित
द शहरे से दीपावली तक अत्यधिक पटाखों के विस्फोट से निकलने वाले रसायन से वायु प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है, जिसका दुष्प्रभाव दो-तीन महीने तक बना रहता है। साथ ही मौसम का परिवर्तित होना, औद्योगिक अपशिष्ट, उत्तर भारत में फसल कटाई के बाद पराली जलाना आदि भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ाने में जिम्मेदार हैं। इससे गंभीर रोगों की आशंका बढ़ जाती है।
शाम को टहलने न जाएं
कोरोना के मरीजों के लिए प्रदूषण का स्तर बढऩा खतरनाक हो सकता है। इसलिए बुजुर्ग, फेफड़ों के रोगी एवं कोरोना मरीज को घर में सुरक्षित जगह रखें, ताकि प्रदूषण का असर न हो। मास्क का प्रयोग विशेषरूप से करें। संतुलित आहार लें एवं व्यायाम का ध्यान रखें। टहलने के लिए सुबह का समय ही बेहतर है। शाम को टहलने न निकलें। इस समय प्रदूषण का स्तर अधिक होता है।
कोविड-19 के लिए घातक!
हाल ही कार्डियोवैस्कुलर रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार वायु प्रदूषण ने कोविड-१९ से होने वाली मौत में बड़ी भूमिका निभाई है।
लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से क्रॉनिक लंग्स डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है।
प्रदूषण स्ट्रोक व हार्ट अटैक की आशंका को बढ़ा देता है।
वायु प्रदूषण से हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, एलर्जिक राइनाइटिस, ब्रोंकाइटिस, नाक और गले की तकलीफ आदि का जोखिम बढ़ जाता है।
अजवाइन की लें भाप
प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए नीम, तुलसी, एलोवेरा, मनी प्लांट, स्नेक प्लांट, शतावरी आदि पौधे लगाएं। नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर नहाने में प्रयोग करें। अजवाइन, पुदीना के पत्ते या नीलगिरी तेल की कुछ बूंदें पानी में डालकर भाप लें। सांस के संक्रमण से बचाव होगा। तुलसी की पत्तियों और अदरक के रस को बराबर मात्रा में शहद के साथ लें, गले की समस्या दूर होगी।
अश्वगंधा पाक और च्वयनप्राश लें
संक्रमण से बचने के लिए सही खानपान पर ध्यान देना भी अहम है। अपने भोजन में घी, दूध, गुड़, मिश्री, खांड, कसैला, गेहंू, ज्वार, परवल, आलू, तुरई, लौकी, पालक, मूंग की दाल, नारियल, आंवला, सेब, अनार, सूखे मेवे, शहद आदि का प्रयोग करें। गुनगुना पानी पीएं। च्वयनप्राश, अश्वगंधा पाक लें। रात में सोते समय तीन-चार ग्राम त्रिफला या हरीतकी चूर्ण गर्म पानी के साथ लें। खट्टे एवं चटपटे, उड़द से बने पदार्थ, अत्यधिक नमकीन या क्षारयुक्त पदार्थों का प्रयोग न करंे।