पूनिया यही नहीं रुके और उन्होंने कहा कि देश में आज भी फिरकापरस्त लोग हैं, जो अकबर को महान बताते हैं। लेकिन उन्हें महाराणा प्रताप की महानता कम नजर आती है। महापुरुषों को बदनाम किया जाता है। उनके नाम पर चल रही योजनाओं के नाम बदले जाते हैं।
पूनिया ने कहा कि कांग्रेस में एक वंश का शासन रहा। उस समय 1925 में संघ की स्थापना नहीं होती तो हालात कुछ और होते। आरएसएस ने राष्ट्रीयता की भावना और संस्कारों की अलख जगाई। आरएसएस से राष्ट्रीय स्वाभिमान की धमक पूरी दुनिया में बढ़ी हैं। आरएसएस ने ही बहुसंख्यक हिंदुओं की चेतना जागृत की है।
82 दिन के अंतराल के बाद भाजपा को नया प्रदेशाध्यक्ष मिला है। पूनिया ने आते ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वो एग्रेसिव मोड पर रहेंगे। इसके पीछे एक वजह इस साल होने वाले निकाय चुनावों को भी माना जा रहा है। अब देखना होगा कि पूनिया जुबानी हमलों के साथ—साथ किस तरह कांग्रेस को इन चुनावों में मात दे पाते हैं।