वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा कि एनसीआर में शामिल 6 औधोगिक जिलों में कोयले की अधिक खपत है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि एनसीआर में औधोगिक इकाइयों में सालाना 17 लाख टन कोयले का उपयोग किया जाता है, जिनमें गुरुग्राम, अलवर, भिवाड़ी, फरीदाबाद, सोनीपत, पानीपत और गाजियाबाद जिलों में 14 लाख टन कोयले की खपत होती है। इनमें भी कोयले का अधिकतर उपयोग लघु उद्योगों में हो रहा है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के पैनल ने पूर्व में वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए आमजन और विशेषज्ञों से सुझाव मांगे थे। पैनल को अधिकतर सुझाव कोयले के प्रतिबंध को लेकर मिले थे।
अलवर और भिवाड़ी में ईंधन के उपयोग पर नजर
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक अलवर में प्रतिवर्ष 1.4 लाख टन और भिवाड़ी में 2.7 लाख टन कोयले का उपयोग होता है। वहीं अलवर में प्रतिवर्ष 4.3 लाख टन एग्रो फ्यूल का इस्तेमाल होता है।रिपोर्ट के मुताबिक अलवर और भिवाड़ी में पीएनजी की पर्याप्त उपलब्धता है, लेकिन पीएनजी में शिफ्ट नहीं होने के पीछे अधिक लागत एक बड़ा कारण है।
भिवाड़ी में पीएनजी पर शिफ्ट कर रहे उद्योग भिवाड़ी इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन अध्यक्ष प्रवीण लांबा भिवाड़ी में 70 प्रतिशत उद्योग स्वच्छ ईंधन पर शिफ्ट हो चुके हैं, शेष की प्रक्रिया जारी है। 1 जनवरी से पहले उद्योग स्वच्छ ईंधन पर शिफ्ट हो जाएंगे। भिवाड़ी के उद्योग वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखने के लिए कटीबद्ध हैं।