scriptआम ज्यादा पैदा होने से बंद हो गई अलवर की कई सरसों तेल मील | Alwar's many mustard oil mills closed due to over production of mangoe | Patrika News

आम ज्यादा पैदा होने से बंद हो गई अलवर की कई सरसों तेल मील

locationजयपुरPublished: Jul 02, 2021 10:38:25 pm

Submitted by:

vinod

पश्चिमी बंगाल, बिहार और आसाम में इस साल आम की फसल (Mango crop) अच्छी होने से अलवर जिले (Alwar District) की कई सरसों तेल इकाइयां (Mustard Oil Units) बंद हो गई हैं।

आम ज्यादा पैदा होने से बंद हो गई अलवर की कई सरसों तेल मील

आम ज्यादा पैदा होने से बंद हो गई अलवर की कई सरसों तेल मील

अलवर। पश्चिमी बंगाल, बिहार और आसाम में इस साल आम की फसल (Mango crop) अच्छी होने से अलवर जिले (Alwar District) की कई सरसों तेल इकाइयां (Mustard Oil Units) बंद हो गई हैं। आप सोचेंगे कि सरसों तेल का आम से क्या संबंध है। इन राज्यों में गर्मी तेज है और मानसून नहीं आया है तो लोग रोटी सब्जी से खाने की बजाए आम से खाना अधिक पसंद करते हैं। इसके चलते सरसों तेल कच्ची घानी की मांग अचानक कम हो गई है और मजबूरन सरसों तेल मील बंद करनी पड़ी।
सरसों तेल हुआ सस्ता, सरसों महंगी
तेल उत्पादक अजय आनंद गोयल कहते हैं कि इन दिनों सरसों तेल सस्ता हो गया है, जबकि सरसों के भाव 6900 रुपए प्रति क्विंटल पर अटक गए हैं। एेसे में सरसों तेल के भाव 145 रुपए प्रति किलो तथा इस पर जीएसटी अलग है। यह भाव थोक के हैं। एक तरफ तो सरसों के भाव अधिक हैं और दूसरी तरफ कई राज्यों में सरसों तेल की मांग कम है जिसके चलते कई सरसों तेल मील ही बंद हो गई हैं। अलवर जिले में इस समय 15 सरसों तेल मील बंद हैं, जबकि कुल इनकी संख्या 55 है।
दूसरी ओर मानसून की बेरुखी के चलते कई राज्यों में गर्मी अधिक है। एेसे में लोग रात के भोजन में सब्जी में सरसों तेल का तड़का लगाने की बजाए आम से ही रोटी खा लेते हैं। बिहार में सबसे अधिक आम से रोटी खाने का चलन है। इस बारे में सरसों तेल उत्पादक बृज भूषण गुप्त कहते हैं कि यह सही है कि इन दिनों आम का असर इसकी मांग पर पड़ा है। जब तक बरसात तेज नही ंआएगी, तब तक सरसों तेल की मांग नहीं निकलेगी। इसके लिए मानसून का इंतजार करना होगा।
पूर्वात्तर राज्यों में कोल्हू के तेल की मांग
पूर्वात्तर राज्यों असम, अरूणाचल, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड के साथ पश्चिम बंगाल में अलवर और भरतपुर के कच्ची घानी के तेल की बहुत मांग है। कच्ची घानी सरसों तेल बनाने का वही परम्परागत रूप कोल्हू से तेल निकालना है। इस तेल में झाग के कारण तीखापन अधिक होता है जिससे मच्छली का स्वाद बढ़ जाता है।
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