जर्मनी और नार्वे की सहायता से इन वनों की रक्षा के लिए संरक्षण कोष भी स्थापित किया गया है।
हालांकि ब्राज़ील में कुछ महत्वपूर्ण कदम सही दिशा में उठाए गए है, लेकिन दूसरी ओर इससे भी बड़ा सच यह है कि अनेक शक्तिशाली तत्व इन वनों को उजाडऩे के पीछे पड़े हैं। इसमें मांस (विशेषकर बीफ) बेचने वाली बड़ी कंपनियां हैं जो जंगल काटकर पशु फार्म बना रही हैं।
कुछ कंपनियां खनन सहित दूसरे स्रोतों से कमाई करना चाहती हैं। इन सबका लक्ष्य यही है कि यदि जंगल काटे जाएं और आदिवासियों को उनकी वन-आधारित जीवन पद्धति से हटा दिया जाए तो उन्हें मनमानी करने से कोई नहीं रोक सकता।
उपग्रह चित्रों से प्राप्त आरंभिक जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में जहां 3183 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र पर वन उजड़े थे। वहीं इस वर्ष सात महीने से भी कम समय में 3700 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर वन उजड़ गए हैं।
वन विनाश की यह गति और भी तीव्र हो रही है।
2017 में जुलाई महीने में 457 वर्ग किलोमीटर वन उजड़े थे, जबकि इस वर्ष जुलाई के पहले तीन हफ्तों में ही 1260 वर्ग किलोमीटर वन उजड़े।
यही नहीं इसके साथ आदिवासी हितों पर हमले भी बढ़ गए हैं। हाल ही में वाइअपी समुदाय के मुखिया की हत्या कर दी गई। बताया जाता है कि इस समुदाय के क्षेत्र में बहुत खनिज संपदा है। जिसके कारण इस प्रकार की घटनाएं बढ़ रही है।
मानव जीवन की रक्षा और पर्यावरण संतुलन के लिए अमेजन के वनों की रक्षा जरूरी है, और इनकी रक्षा करना विश्व समुदाय का दायित्व है।