राजस्थान एबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि एम्बुलेंस कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को सोमवार से हड़ताल की चेतावनी दे रखी थी, लेकिन रविवार को परियोजना निदेशक अनिल पालीवाल ने सोमवार को सुबह 11 बजे वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। इसलिए वार्ता जारी रहने तक हड़ताल के निर्णय को स्थिगित कर दिया है। वार्ता में सकारात्मक परिणाम नहीं निकला तो कर्मचारी हड़ताल जैसा कदम उठाएंगे।
शेखावत ने बताया कि गुरुवार को एंबुलेंस सेवा 108 व 104 के कर्मचारीयों की बैठक जयपुर हुई थी। बैठक में सभी ने एकमत होकर हड़ताल जैसा कदम उठाने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस कर्मचारी अक्टूबर 2019 से अपनी मांगों को लेकर सघंर्षरत हैं, लेकिन आजतक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला, जबकि एंबुलेंस कर्मचारी पूरे कोराना काल में प्रथम सिपाही बनकर प्रदेशवासियों की सेवा कर रहे हैं। उधर सरकार एंबुलेंस कर्मचारीयों की अनदेखी कर रही है।
एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रतिनिधी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारीयों से पिछले 6 माह से लगातार वार्ताएं कर रहे हैं पर कोई परिणाम नहीं निकला। एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी जीवीके ईएमआरआई की तरफ से भी कर्मचारीयों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि एंबुलेंस वाहनों में समय पर डीजल नहीं डलवाना, मरम्मत कार्य समय पर नहीं करवाना, एंबुलेस वाहनों में कोरोना से सुरक्षा के लिए मास्क ग्लफ्स, सेनेटाइजर इत्यादि उपलब्ध नहीं करवाना ,एंबुलेंस कर्मचारीयों को बिना कारण कंपनी के अधिकारीयों की ओर से परेशान करना, खटारा एंबुलेंस वाहनों को जबदस्ती चलवाना व उनका डीजल एवरेज के लिए परेशान किया जाता है।