जयपुर

5 मिनट का रास्ता, 25 मिनट बाद पहुंची एंबुलेंस, फोन पर ही बोलते रहे धैर्य बनाए रखिए

राजस्थान पत्रिका ने की पड़ताल तो सामने आई 108 एम्बुलेंस की हकीकत, जानिए आखिर कहां अटक जाती है आपकी जीवनदायिनी

जयपुरJan 16, 2020 / 05:08 pm

Deepshikha Vashista

The ambulance gate was locked when a woman with a heart attack…

जयपुर. राजधानी में रोज करीब 300 से अधिक सड़क हादसों में घायलों को एम्बुलेंस का इंतजार होता है। इनमें से अधिकतर मामलों में जीवनदायिनी एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच रही है।
ऐसी स्थिति में या तो घायल मौके पर ही दम तोड़ रहे हैं या फिर उनकी अस्पताल पहुंचने मेे देरी होने के कारण मौत हो रही है। अक्सर मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए परिजन एंबुलेंस को फोन तो करते हैं, लेकिन समय पर एंबुलेंस नहीं आ पाती है। आखिर जीवनदायिनी एम्बुलेंस कहां अटक रही है?
राजधानी में भी समय पर पहुंचने में क्या परेशानी आ रही है? इन सभी सवालों का जवाब तलाशने के लिए राजस्थान पत्रिका ने बुधवार को रियलिटी चैक किया। इस दौरान कई हकीकत साामने आ गई। कहीं पर कर्मचारियों की लापरवाही दिखी, तो कहीं खुद एम्बुलेंस ही बीमार हालत में नजर आई। आलम यह था कि 250 मीटर पहुंचने में भी एम्बुलेंस को 25 मिनट से अधिक समय लग गया। इस दौरान कंट्रोल रूम से कॉल आता रहा, आप धैर्य रखिए। वहीं एक अन्य जगह तो एम्बुलेंस स्टार्ट ही नहीं हुई।

रोजाना आती हैं दस से पंद्रह शिकायतें

राजधानी में एम्बुलेंस की लापरवाही के ये तो महज दो उदाहरण है। लेकिन पूरे शहर की हकीकत जानें तो कई मामलों में एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाती है। ऐसे में रोज 10 से 15 शिकायतें आ रही हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो पाती है। 108 एंबुलेंस सेवा के पीआरओ भानु सोनी का कहना है कि शिकायतों की समय-समय पर जांच करवाते हैं।

पहला: लापरवाही

कोतवाली थाने से आतिश मार्केट नहीं पहुंच सकी एम्बुलेंस

रियलिटी चैक करने के लिए पत्रिका टीम परकोटा में कोतवाली थाना पहुंची। यहां एम्बुलेंस खड़ी थी, जिसमें कोई स्टाफ नहीं था। दोपहर 2.49 पर 108 पर फोन कर कॉल किया।
तीन बार में फोन नहीं उठाया। इसके बाद वापस कॉल आया और कारण पूछा। हमने आतिश मार्केट मेंएक घायल होने की सूचना दी। बता दें कि थाने से आतिश मार्केट 250 मीटर भी नहीं है। कर्मचारी ने तीन मिनट तक पूछताछ की, फिर लाइन पर लेकर चालक से बात कराई। इसके बाद चालक को लोकेशन समझाई गई। 3.10 मिनट पर एम्बुलेंस में कर्मचारी आकर बैठे। इसके बाद एम्बुलेंस रवाना हुई। हैरान करने वाली है कि आतिश मार्केट में एम्बुलेंस गई ही नहीं। बताए गए स्थान को छोड़कर एम्बुलेंस चौड़ा रास्ता में घुस गई। यहां से न्यू गेट होते हुए सांगानेरी गेट, जौहरी बाजार, बड़ी चौपड़ से छोड़ी चौपड़ पर आकर कोतवाली पर खड़ी हो गई।
दूसरा: एम्बुलेंस बीमार

धक्का मारते रहे एंबुलेंस ही चालू नहीं हुई

खासाकोठी चौराहे पर दुर्घटना का कॉल आया। केस को बनीपार्क फायर स्टेशन पर खड़ी 108 एम्बुलेंस को दिया गया। खासाकोठी चौराहा फायर स्टेशन से नजदीक है। यहां से दूरी महज 10 मिनट की भी नहीं है। ऐसे में कॉल आते ही एम्बुलेंस को जैसे ही स्टार्ट किया गया, वाहन धक्का खाने लगा। बार-बार प्रयास करने के बाद भी एम्बुलेंस स्टार्ट नहीं हुई। फिर दूसरी एम्बुलेंस को केस रैफर किया गया।
एम्बुलेंस में क्या संसाधन होने चाहिए

मेडिसिन किट
ऑक्सीजन सिलेंडर
मॉनिटर
ड्रेसिंग सेट
एयरकंडीशर / हीटर
डस्टबिन
स्टॉप वॉच
व्हील चेयर
सूपड़ी
अग्निशामक यंत्र
फर्स्ट एड

यह खामियां मिली

अग्निशामक यंत्र कई एम्बुलेंस में खराब मिले, तो कई में नहीं थे।
वॉश प्रेशन काम नहीं कर रहा था।
एयरकंडीशन काम नहीं कर
रहा था।
डस्टबिन नजर नहीं आए।
एम्बुलेंस के अंदर पंखे
खराब मिले।
ड्रेसिंग सेट में सामान कम मिला।

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