जवाब मिलता रहा कि महाधिवक्ता की अध्यक्षता में बनाई कमेटी विचार कर रही है। पिछले मार्च में लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ाने के लिए कानून में संशोधन किया गया और इस साल मार्च में कार्यकाल घटाने के लिए अध्यादेश लाया गया, लेकिन सशक्त लोकायुक्त का प्रस्ताव 5 साल से क्यों अटका है किसी को पता नहीं है।
हमारा कानून कमजोर है
मप्र के लोकायुक्त के पास अपनी अभियोजन और अनुसंधान इकाई है। लोकायुक्त मामलों के लिए विशेष न्यायालय भी है। कर्नाटक और उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में भी मध्यप्रदेश की तरह ही सशक्त लोकायुक्त कानून है, लेकिन राजस्थान में लोकायुक्त मामलों के लिए विशेष न्यायालय बनना तो दूर लोकायुक्त के पास अपनी अभियोजन और अनुसंधान इकाई तक नहीं है। सीएम अशोक गहलोत के पिछले शासन में लोकायुक्त को पुलिस के कुछ पद सौंपे गए, लेकिन अब तक पुलिस र्किमयों की सेवाएं लोकायुक्त सचिवालय को नहीं दी गई हैं।
मप्र के लोकायुक्त के पास अपनी अभियोजन और अनुसंधान इकाई है। लोकायुक्त मामलों के लिए विशेष न्यायालय भी है। कर्नाटक और उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में भी मध्यप्रदेश की तरह ही सशक्त लोकायुक्त कानून है, लेकिन राजस्थान में लोकायुक्त मामलों के लिए विशेष न्यायालय बनना तो दूर लोकायुक्त के पास अपनी अभियोजन और अनुसंधान इकाई तक नहीं है। सीएम अशोक गहलोत के पिछले शासन में लोकायुक्त को पुलिस के कुछ पद सौंपे गए, लेकिन अब तक पुलिस र्किमयों की सेवाएं लोकायुक्त सचिवालय को नहीं दी गई हैं।
कब-कब भेजे गए स्मरण पत्र
17 जनवरी 2014, 20 जनवरी 2015, 23 जून 2015, 5 अक्टूबर 2015, 6 अप्रेल 2016, 23 जून 2016, 9 मार्च 2017 इनका कहना है…
– लोकायुक्त कानून में संशोधन के लिए ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की राजस्थान इकाई ने मेरे कार्यकाल में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पानाचंद जैन के सहयोग से ड्राफ्ट तैयार किया, जो 2014 में तत्कालीन महाधिवक्ता एन एम लोढ़ा को सौंपा था। इसके बावजूद यह कानून नहीं बन पाया। हालांकि एस एस कोठारी ने प्रो एक्टिव होकर लोकायुक्त के रूप में बेहतर कार्य किया।
आइसी श्रीवास्तव, पूर्व आइएएस और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के पूर्व चैयरमेन
17 जनवरी 2014, 20 जनवरी 2015, 23 जून 2015, 5 अक्टूबर 2015, 6 अप्रेल 2016, 23 जून 2016, 9 मार्च 2017 इनका कहना है…
– लोकायुक्त कानून में संशोधन के लिए ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की राजस्थान इकाई ने मेरे कार्यकाल में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पानाचंद जैन के सहयोग से ड्राफ्ट तैयार किया, जो 2014 में तत्कालीन महाधिवक्ता एन एम लोढ़ा को सौंपा था। इसके बावजूद यह कानून नहीं बन पाया। हालांकि एस एस कोठारी ने प्रो एक्टिव होकर लोकायुक्त के रूप में बेहतर कार्य किया।
आइसी श्रीवास्तव, पूर्व आइएएस और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के पूर्व चैयरमेन
– मध्यप्रदेश और कर्नाटक का लोकायुक्त कानून सबसे प्रभावी है। सशक्त लोकायुक्त के लिए महाधिवक्ता को सौंपे गए कानून के ड्राफ्ट पर कार्यवाही की मौजूदा स्थिति जानने के लिए दो-तीन बार पत्र लिखा गया, लेकिन सशक्त लोकायुक्त के लिए कानून का अब भी इंतजार है।
जीएस होरा, चेयरमैन, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (राजस्थान इकाई)
जीएस होरा, चेयरमैन, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (राजस्थान इकाई)
– व्यक्ति विशेष का कार्यकाल बदलने के लिए दो बार कानून बदला गया, लेकिन लोकायुक्त को सशक्त बनाने का प्रस्ताव 5 साल बाद भी कानून का रूप नहीं ले पाया। सशक्त लोकायुक्त के लिए तुरन्त कानून बदला जाना चाहिए।
रवीन्द्र सिंह, अध्यक्ष, लोक सम्पत्ति संरक्षण समिति
रवीन्द्र सिंह, अध्यक्ष, लोक सम्पत्ति संरक्षण समिति
– ड्राफ्ट पर विचार के लिए बनाई गई कमेटी में मेरे साथ आइएएस अधिकारी भी थे। अधिकारियों के सेवानिवृत्त होने से ड्राफ्ट को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। हालांकि ड्राफ्ट अंतिम स्टेज पर पहुंच
गया था। एनएम लोढ़ा, पूर्व महाधिवक्ता
गया था। एनएम लोढ़ा, पूर्व महाधिवक्ता