हाल ही में अमरीका ने चीन से ज्वैलरी निर्यात पर ड्यूटी को 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है, जबकि भारत पर यह 5.5 फीसदी यथावत है। इससे चीन को अमरीका ज्वैलरी भेजना महंगा पड़ रहा है, जिसके चलते अगस्त में चीन के एक्सपोर्ट में 35 फीसदी हिस्सा रखने वाली इस इंडस्ट्री के निर्यात में 20 फीसदी तक गिरावट आई है। जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल कहना है कि अगर भारत को 2025 तक के तय लक्ष्य 18 अरब डॉलर (1.2 लाख करोड़ रुपए) ज्वैलरी निर्यात को हासिल करना है, तो यह ट्रेडवार बेहतरीन मौका साबित हो सकता है।
इन क्षेत्रों पर देना हो ध्यान
देश में ज्वैलरी इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए उद्योग संगठन लम्बे समय से सोने पर कस्टम ड्यूटी कम करने की मांग कर रहे हैं। इसे दस फीसदी से घटाकर पांच फीसदी किया जाना चाहिए। इस सेक्टर में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाया जाए। इंडस्ट्री के अनुकूल ट्रेड पॉलिसी और उपभोक्ताओं के फायदे के लिए हॉलमार्किंग व गोल्ड मॉनिटाइजेशन जैसे प्रयासों से इस इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा।
ज्वैलर्स का कहना है कि छोटे निर्यातक को माल बेचने पर पैसा डॉलर में आता है, इसके लिए वे ‘पेपलÓ जैसे प्लेटफार्म का उपयोग करते हैं, इस पर 18 फीसदी जीएसटी लग जाता है। ज्वैलरी इंडस्ट्री इसके लिए सरकार से मांग कर रही है कि एक ऐसा स्थानीय प्लेटफार्म विकसित किया जाए, जिससे इस दर को कम किया जा सके।
कई आभूषण कंपनियां भारत आने की तैयारी में
ट्रेड वॉर के बीच कई दिग्गज वैश्विक ज्वैलरी कंपनियां अपनी फैक्ट्रियां चीन से हटाकर भारत में लगाने जा रही हैं। इन कंपनियों द्वारा अपनी फैक्ट्रियों को चीन से भारत लाने से भारतीय जेम्स एंड ज्वैलरी निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
अमरीका के लिए चीन से कई चीजों का आयात मंहगा हो गया है, इनमें ज्वैलरी, स्टेशनरी, इलेक्ट्रॉनिक पाट्र्स शामिल हैं। अब अमरीका इन चीजों के आयात के लिए भारतीय इंडस्ट्री से से बात कर रहा है।