तीन दिन से यहां वायुसेना व अमरीकी एयरलांइस का विशेष विमान खड़ा था। इनके साथ करीब 40 सुरक्षा अधिकारी भी डेरा जमाए हुए थे। वे यहां एयरपोर्ट से जुड़ी हर गतिविधि पर नजर रखे हुए थे। रनवे पर उनके विमानों के इर्द-गिर्द साथ लाए गए ट्रक, बस समेत कई उपकरण 24 घंटे तैनात रहे। जिससे कि जरूरत पडऩे पर तत्काल उड़ान भर सकें। ट्रंप का दो दिवसीय भारत दौरा खत्म होने के बाद मंगलवार रात साढ़े दस बजे दोनों विमान जयपुर से रवाना हो गए। इसके बाद एयरपोर्ट प्रशासन और सीआइएसएफ के जवानों ने भी राहत की सांस ली।
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अब हवा में चक्कर नहीं काटेंगे विमान, जयपुर एयरपोर्ट पर लगेगा सर्विलांस रडार
जयपुर एयरपोर्ट पर अब 200 किमी दूर तक के विमानों की भी स्थिति का पता चल सकेगा। इसके लिए यहां मुंबई, दिल्ली सहित देशभर के बड़े एयरपोर्ट की तरह सर्विलांस रडार लगाया जाएगा। यह रडार दस माह के अंदर लग जाएगा। ऐसे में एयरपोर्ट पर हवाई यातायात ज्यादा होने पर भी विमानों को रनवे खाली होने के इंतजार में हवा में चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। अभी जयपुर एयरपोर्ट पर सर्विलां स रडार लगा नहीं होने से एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को विमान की स्थिति का पता नहीं लगा पाता। इसके लिए एटीसी को पायलट से बातचीत करनी पड़ती है। इस स्थिति में कई बार कंट्रोलर और पायलट के बीच देरी से बातचीत होने की स्थिति में विमान के उतरने में भी समय लग जाता है। यह स्थिति तब बनती है जब टै्रफिक बढ़ जाता है।
अब हवा में चक्कर नहीं काटेंगे विमान, जयपुर एयरपोर्ट पर लगेगा सर्विलांस रडार
जयपुर एयरपोर्ट पर अब 200 किमी दूर तक के विमानों की भी स्थिति का पता चल सकेगा। इसके लिए यहां मुंबई, दिल्ली सहित देशभर के बड़े एयरपोर्ट की तरह सर्विलांस रडार लगाया जाएगा। यह रडार दस माह के अंदर लग जाएगा। ऐसे में एयरपोर्ट पर हवाई यातायात ज्यादा होने पर भी विमानों को रनवे खाली होने के इंतजार में हवा में चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। अभी जयपुर एयरपोर्ट पर सर्विलां स रडार लगा नहीं होने से एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को विमान की स्थिति का पता नहीं लगा पाता। इसके लिए एटीसी को पायलट से बातचीत करनी पड़ती है। इस स्थिति में कई बार कंट्रोलर और पायलट के बीच देरी से बातचीत होने की स्थिति में विमान के उतरने में भी समय लग जाता है। यह स्थिति तब बनती है जब टै्रफिक बढ़ जाता है।
लेकिन रडार लगने के बाद एटीसी को स्वत
ही रडार से 200 किमी दूर तक के विमानों की स्थिति का पता लग जाएगा। इससे रनवे की क्षमता में भी वृद्धि होगी और एक के बाद एक विमान कतार में उतर सकेंगे। ऐसे में दो विमान के रनवे पर उतरने में 15 से 20 मिनट का ही अंतराल पर्याप्त होगा। नई व्यवस्था से दिल्ली में मौसम खराब होने पर डायवर्ट होकर आने वाले विमानों को तत्काल उतारा जा सकेगा। अभी जयपुर एयरपोर्ट पर रोजाना 62 विमानों की आवाजाही हो रही है। वैसे जयपुर एयरपोर्ट की प्रत्येक घंटे की 12 विमान संचालन की क्षमता है।
ही रडार से 200 किमी दूर तक के विमानों की स्थिति का पता लग जाएगा। इससे रनवे की क्षमता में भी वृद्धि होगी और एक के बाद एक विमान कतार में उतर सकेंगे। ऐसे में दो विमान के रनवे पर उतरने में 15 से 20 मिनट का ही अंतराल पर्याप्त होगा। नई व्यवस्था से दिल्ली में मौसम खराब होने पर डायवर्ट होकर आने वाले विमानों को तत्काल उतारा जा सकेगा। अभी जयपुर एयरपोर्ट पर रोजाना 62 विमानों की आवाजाही हो रही है। वैसे जयपुर एयरपोर्ट की प्रत्येक घंटे की 12 विमान संचालन की क्षमता है।