एक जीव जो ऑक्सीजन के बिना भी रह सकता है जीवित!
जयपुरPublished: Feb 27, 2020 07:52:50 pm
यह परजीवी आकार में अत्यंत छोटा है जिसका शरीर 10 से भी कम कोशिकाओं से बना है
एक जीव जो ऑक्सीजन के बिना भी रहत सकता है जीवित!
जयपुर।
अब तक यही माना जाता रहा है कि धरती पर जीवन के लिए ऑक्सीजन सबसे जरुरी घटकों में से एक है। जिसके बिना जीवन संभव नहीं है। पृथ्वी पर भी जीवन तभी संभव हो सका है जब वहां ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ गई थी और वो प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीव का दावा किया है जो सांस लेना छोड़ चुका है। वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया यह नया जीव, जिसका व्यवहार प्रकृति के नियमों के विपरीत है। यह नयी खोज दर्शाती है कि जीवो का विकास अजब तरीके से हो रहा है। इस जीव की खोज ने इस बहस को फिर से हवा दे दी है कि क्या जीवों का विकास ऑक्सीजन के बिना भी हो सकता है। इसे हेनेगुया सालमिनिकोला नाम दिया गया है। यह परजीवी आकार में अत्यंत छोटा है जिसका शरीर 10 से भी कम कोशिकाओं से बना है।
यह परजीवी जेलिफि़श और कोरल्स के परिवार से सम्बन्ध रखता है। लेकिन अब इसका विकास इस तरह हो चुका है कि यह अपनी सांस के साथ ऑक्सीजन लेना छोड़ चुका है और यह शारीरिक ऊर्जा के उत्पादन के लिए ऑक्सीजन पर निर्भर नहीं है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि हेनेगुया सालमिनिकोला की कोशिका में माइटोकॉन्ड्रिया की कमी है। माइटोकॉन्ड्रिया ज्यादातर कोशिकाओं में बड़ी संख्या में पाया जाने वाला एक अंग, जिसमें श्वसन और ऊर्जा उत्पादन की जैव रासायनिक प्रक्रियाएँ होती हैं। यह भी कहा जाता है कि माइटोकॉन्ड्रिया कोशिकाओं का पावरहाउस होता है जो ऑक्सीजन की मदद से ऊर्जा का निर्माण करता है। इसकी गैर मौजूदगी इस बात का संकेत है कि यह जीव सांस के रूप में ऑक्सीजन नहीं ले रहा था। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि यह जीव अपनी ऊर्जा किस तरह बनाता है।
इजऱाइल में तेल अवीव विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि जेलिफि़श से संबंधित एक छोटा परजीवी ऑक्सीजन के बिना जीवित रह सकता है। यह काफी सरल है, क्योंकि इसमें ऑक्सीजन को ग्रहण करने की कोई क्षमता नहीं है। यह परजीवी मछली के अंदर पाया जाता है। अध्ययन को संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की वैज्ञानिक पत्रिका प्रोसीडिंग्स में प्रकाशित किया गया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार कुछ अन्य जीव जैसे फफूंद, अमीबा समय के साथ अपनी सांस लेने की क्षमता खो चुके हैं। इस नए अध्ययन के अनुसार इस जीव के साथ भी ऐसा ही हो सकता है। वैज्ञानिकों का एक मत यह भी है कि अधिकांश परजीवी ऐसे वातावरण में रहते हैं जहां ऑक्सीजन की कमी होती है। प्रो डोरोथे और उनकी टीम हेनेगुया के जीनोम को इकठ्ठा कर रहे थे, जब उन्हें पता चला कि इस जीव में माइटोकॉन्ड्रियल जीनोम शामिल नहीं है।
हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि यह परजीवी कैसे ऊर्जा उत्पन्न करता है। यह आसपास की मछली की कोशिकाओं से इसे खींच सकता है, या इसमें एक अलग प्रकार की श्वसन हो सकती है जैसे कि ऑक्सीजन-मुक्त श्वास, जो आम तौर पर अवायवीय गैर-पशु जीवों की विशेषता है।