आयोग के तर्क – अंतिम क्रिया के अतिरिक्त अन्य किसी भी कार्य के लिए मृत शरीर को रखा नहीं जा सकता, क्योंकि मानव शरीर कोई बाजार में बिकने वाली वस्तु नहीं है। – जिस तरह जीवित व्यक्ति को बंधक नहीं बनाया जा सकता, उसी तरह मृत का तत्काल अंतिम संस्कार नहीं करना व उसे कब्जे में रखना कानूनन, सामाजिक मान्यता व शालीनता के खिलाफ है। मृत शरीर से दुर्गंध के साथ ही चमड़ी उतरने लगी थी। फिर भी अंतिम संस्कार नहीं करा रहा है तो यह सरकार का दायित्व है। यह सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है।
– कोख में आते ही मानव अधिकार जन्म ले लेते हैं, उसी तरह मृत्यु के बाद भी मानवाधिकार रहता है। कोई भी इसके लिए स्वयं संघर्ष नहीं कर सकता। एेसे में उसके परिजन और सगे सम्बन्धी या सामाजिक संस्था मृतक का अंतिम संस्कार करा सकती हैं। वे भी नहीं कराएं तो सरकार को जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
– आयोग ने इस मामले में पिछले दिनों भी स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था। साथ ही मौताणे को लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा था। गृह विभाग से पूछा था कि अंतिम संस्कार नहीं कराने के मामलों पर सरकार की क्या नीति है?
रैली में कहा…उखाड़ेंगे पटरी, रोकेंगे हाइवे कुख्यात अपराधी आनंदपाल के एनकाउंटर की सीबीआई जांच सहित परिजनों की मांगों को लेकर बुधवार को सांवराद में आयोजित हुंकार रैली व श्रद्धांजलि सभा में राजपूत एवं रावणा राजपूत समाज के लोग हजारों की संख्या में एकत्र हुए। इस मौके पर राजपूत समाज के नेता लोकेन्द्र सिंह कालवी के नेतृत्व में मौजूद लोगों ने सीबीआई जांच व परिजनों की अन्य मांगों का समर्थन किया। साथ ही आनन्दपाल सिंह एनकाउंटर को साजिश करार देते हुए इसे सुनियोजित हत्या करार दिया। उन्होंने कहा कि आनन्दपाल सिंह समर्पण करने को तैयार था, लेकिन सरकार की शह पर पुलिस ने उसे विश्वास में लेकर मारा है। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
सिपाहियों को जलाने का किया प्रयास अपराधी आनंदपाल की श्रद्धांजलि सभा के बाद बुधवार रात सांवराद में हालात बेकाबू हो गए। उपद्रवी भीड़ ने रात करीब आठ बजे सांवराद रेलवे स्टेशन पर पटरियां उखाड़ दी। कुछ पुलिसकर्मियों को कमरे में बंद कर आग लगाने का प्रयास किया।
सांवराद में उपद्रवियों को पुलिस ने काबू करने का प्रयास किया तो वह और उग्र हो गए। इस दौरान झड़प में हुए घायलों को जयपुर रैफर किया गया। रास्ते में एक घायल लालचंद ने दम तोड़ दिया। इस बीच उपद्रवियों ने पुलिस अधीक्षक पारिस देशमुख की कार पर हमला करके उसमें आग लगा दी। साथ ही उनके गनमैन की एके 47 राइफल छीनकर भाग गए।
साथ ही आईपीएस मोनिका सैन को घेर लिया। उनके गनमैन ने भीड़ को काबू करने का प्रयास किया तो उपद्रवी उसकी भी पिस्तौल छीनकर ले गए। दरअसल श्रद्धांजलि सभा में शामिल भीड़ के कुछ लोग दिनभर राज्य सरकार के जवाब के इंतजार में बैठे रहे। शाम को वह सांवराद रेलवे स्टेशन की तरफ बढ़ गए। वहां पहुंचकर उन्होंने पटरियों पर कब्जा कर लिया। मौके पर मौजूद आरपीएफ एवं पुलिस के जवानों ने उन्हें समझाकर हटाने का प्रयास किया। इसमें दोनों पक्षों के बीच झड़प के बाद हालात बिगड़ गए।
सांवराद से जयपुर के रास्ते सील सांवराद में हालात बिगडऩे के बाद जयपुर में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। वहां से जयपुर आने वाले मार्गों पर पुलिस जाप्ता तैनात कर दिया है। प्रदर्शनकारियों को राजधानी में घुसने से रोकने के लिए सभी थानों और लाइन का अतिरिक्त जाप्ता तैनात किया गया है। नागौर व चूरू से आने वाले वाहनों की विशेष निगरानी जारी है।
गृहमंत्री और डीजीपी ने की मीटिंग गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने देर रात पुलिस महानिदेशक मनोज भट्ट को अपने दफ्तर में बुलाया। वहां अन्य अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद हालात से निपटने की रणनीति बनाई गई।