चीन ने कहा कि दलाई लामा के इस दौरे के मकसद और दूसरे देशों में उनकी गतिविधियों से यह पता चलता है कि वो तिब्बत की आजादी के अपने प्रपोजल को प्रमोट कर रहे हैं।
बीजिंग। तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा और लेडी गागा की मुलाकात पर चीन ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हॉन्ग ली ने कहा कि दलाई लामा के इस दौरे के मकसद और दूसरे देशों में उनकी गतिविधियों से यह पता चलता है कि वो तिब्बत की आजादी के अपने प्रपोजल को प्रमोट कर रहे हैं।
बता दें कि सिंगर लेडी गागा ने दलाई लामा का इंटरव्यू भी लिया। इस इंटरव्यू में उनसे 30 सवाल पूछे गए। वहीं फेसबुक पर इस इंटरव्यू को लाइव भी दिखाया गया। सिंगर ने दलाई लामा से पूछा कि यंग पीपुल को स्वाभिमान के साथ जीने में कैसे मदद की जाए। इस पर दलाई लामा ने कहा कि प्रेम और करुणा जैसे मूल्यों पर ज्यादा ध्यान देना ही इसका सबसे सही तरीका होगा।
उन्होंने कहा कि हम एक सामाजिक प्राणी हैं, ऐसे में व्यक्तियों का भविष्य पूरी तरह से समुदाय पर निर्भर करता है। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि एक बार दुखद स्थिति होती है, टालें नहीं (लेकिन) इसे व्यापक गहरायी के साथ देखें। अगर आप व्यापक नजरिए से देखेंगे तो कई सकारात्मक चीजें हो रही हैं। अगर आप वास्तव में बारीकी से देखें तो यह असहनीय लगता है, लेकिन आप व्यापक तरीके से देखें तो वहां कई अन्य सकारात्मक चीजें होती हैं।
उधर, हॉन्ग ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इंटरनेशनल कम्युनिटी के लोग दलाई लामा की सोच और तरीकों से अच्छी तरह वाकिफ होंगे। बता दें कि चीन तिब्बतियों के आद्यात्मिक लीडर दलाई लामा को अक्सर एक पॉलिटिकल हस्ती बताता है। साथ ही यह आरोप भी लगाता है कि दलाई लामा चीन के बाकी हिस्सों से तिब्बत के हिमालय क्षेत्र को अलग करने की वकालत करते हैं।
ओबामा से मिले थे दलाई लामा, भड़का था चीन
गौरतलब है कि इससे पहले दलाई लामा ने अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात की थी। इसके बाद चीन ने ओबामा और दलाई लामा की इस मुलाकात की आलोचना करते हुए इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। चीन के एक समाचारपत्र ने कहा था कि इस मुलाकात से ओबामा का ‘स्वार्थी पहलू’ दिखाई देता है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि उन्होंने बीजिंग स्थित अमरीकी दूतावास से गंभीर अभ्यावेदनों में इस मुलाकात के प्रति अपनी नाराजगी जताई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा था, हम इस बात पर जोर देते हैं कि तिब्बत मुद्दा चीन का आंतरिक मामला है और अन्य देशों को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।