इतना ही नहीं कॉल काटते हुए नीरज का कॉलर पकड़ लिया और रेलवे स्टेशन पर उतारकर साथी कर्मचारी से पुलिस के हवाले करने को कहा। बाद में नीरज ने पेशे का जिक्र किया तो रेलवे कर्मचारी थोड़ा झिझके और फिर हिदायत देते हुए छोड़ दिया।
उधर, ट्वीट की शिकायत को रेलवे अधिकारियों ने रीट्वीट तो किया, लेकिन जल्द ही अभद्रता करने वाले टीटी के शिकायतकर्ता के बेटिकट वाले झूंठ को सच मानते हुए जांच किए बगैर मामले को शार्टआउट कर दिया।
नीरज ने ट्वीट में बताया कि वह दौसा रेल्वे स्टेशन से जयपुर गांधीनगर के लिए रानीखेत ट्रेन 15014 के जनरल डिब्बे में यात्रा कर रहा था और उस डिब्बे में टिकट जांच के लिए दो कर्मचारी यात्रियों की टिकट जांच के लिए चढ़े और जिन यात्रियों के पास टिकट था उनसे भी अभद्र भाषा का उपयोग करने लगे व जिनके पास टिकट नहीं था उनसे गाली-गलौज करने लग गए। जब इसी प्रकार अभद्र भाषा का प्रयोग कर टिकट दिखाने की मांग की, जब नीरज ने अभद्र भाषा के प्रयोग नहीं करने का निवेदन किया तो उसे राजकार्य में बाधा डालने के मामले में फंसाने की धमकी तक दे डाली। इस मामले को जब नीरज ने ट्वीट कर रेलवे को अवगत कराया और ट्वीट के कुछ देर बाद नीरज के पास जयपुर से फोन आया कि आपने ट्विट कर एक शिकायत दर्ज कराई है और फोन पर कहा गया कि संबंधित कर्मचारी वहां मौजूद हैं उनसे बात कराने को कहा गया। नीरज ने एक कर्मचारी से बात कराई तो वो उसे ही फंसाने लग गए उन्होने फोन पर बात करते हुए नीरज की गर्दन के पीछे से शर्ट पकड़ ली और फोन पर बताने लगे कि यह यात्री बिना टिकट यात्रा कर रहा है और इसके साथ इसके और भी अन्य साथी यात्रा कर रहे है। लेकिन मामले को दबाने के लिए उल्टा ही यात्री पर बिना टिकट के आरोप लगाकर उसे ही फंसाने की कोशिश की गई जबकि नीरज के साथ ना तो अन्य व्यक्ति थे। नीरज ने अपने मासिक टिकट ( एमएसटी) की फोटो भी ट्वीट कर तुरन्त शेयर की और उस पर बिना टिकट यात्रा करने के लगे आरोप की सफाई दी ।