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सोशल मीडिया से निपटने के लिए रेलकर्मियों ने इजाद किया नया तरीका, शिकायतकर्ता को ही फंसाओ

locationजयपुरPublished: Oct 19, 2018 11:46:54 pm

Submitted by:

abdul bari

न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी — सोशल मीडिया से शिकायत करने वालों को ही फंसाने के लिए धमकाने लगे हैं रेलकर्मी

सोशल मीडिया से निपटने के लिए रेलकर्मियों ने इजाद किया नया तरीका, शिकायतकर्ता को ही फंसाओ

सोशल मीडिया से निपटने के लिए रेलकर्मियों ने इजाद किया नया तरीका, शिकायतकर्ता को ही फंसाओ

जयपुर
यदि आप रेल से सफर कर रहे हैं और किसी सर्विस या व्यवहार को लेकर शिकायत है तो आप उस शिकायत को दर्ज कराने की बजाय चुपचाप सहन करिए। यदि आपने उस शिकायत को किसी तरह से आला अधिकारियों तक पहुंचाने की कोशिश की तो रेलकर्मी आपको किसी भी आरोप में फंसा कर दोषी ठहरा देंगे। फिर आप चाहे कितनी ही दलीलें दे। रेलवे अधिकारियों पर कोई असर नहीं होगा। ऐसा ही एक मामला सामने आया है राजस्थान में दौसा से जयपुर के गांधीनगर स्टेशन के बीच रेल में।
दरअसल मामला सोशल मीडिया पर रेलवे कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर की गई शिकायत से जुड़ा है। एक यात्री नीरज रोजाना दौसा से जयपुर रेलवे में यात्रा करते हैं इसके लिए उन्होंने मंथली सीजन टिकट बनवा रखा है। 19 अक्टूबर को नीरज जब दौसा से ट्रेन में सवार हुए तो टिकट जांच करने आए टीटी यात्रियों से अभद्रता भाषा से संबोधित कर रहे थे। इस बात का विरोध नीरज समेत कई लोगों ने किया, लेकिन नीरज ने रेलवेकर्मियों की शिकायत ट्वीटर पर रेलवे तक पहुंचा दी। शिकायत के चंद मिनटों में ही कंट्रोल रूम से फोन आया और मौजूदा रेलवे कर्मियों से बात कराने के लिए कहा गया। नीरज ने जब खुद के मोबाइल से टीटी से बात करने को कहा तो उसने मोबाइल लेते ही नीरज को विदाउट टिकट बताना शुरू कर दिया। जब नीरज ने जेब से एमएसटी निकालकर टीटी को दिखाया तो टीटी ने बात को घुमाते हुए नीरज के साथ किसी अन्य को बगैर टिकट बताकर दोषी ठहराने का प्रयास किया।
इतना ही नहीं कॉल काटते हुए नीरज का कॉलर पकड़ लिया और रेलवे स्टेशन पर उतारकर साथी कर्मचारी से पुलिस के हवाले करने को कहा। बाद में नीरज ने पेशे का जिक्र किया तो रेलवे कर्मचारी थोड़ा झिझके और फिर हिदायत देते हुए छोड़ दिया।
उधर, ट्वीट की शिकायत को रेलवे अधिकारियों ने रीट्वीट तो किया, लेकिन जल्द ही अभद्रता करने वाले टीटी के शिकायतकर्ता के बेटिकट वाले झूंठ को सच मानते हुए जांच किए बगैर मामले को शार्टआउट कर दिया।
यह था पूरा मामला-
नीरज ने ट्वीट में बताया कि वह दौसा रेल्वे स्टेशन से जयपुर गांधीनगर के लिए रानीखेत ट्रेन 15014 के जनरल डिब्बे में यात्रा कर रहा था और उस डिब्बे में टिकट जांच के लिए दो कर्मचारी यात्रियों की टिकट जांच के लिए चढ़े और जिन यात्रियों के पास टिकट था उनसे भी अभद्र भाषा का उपयोग करने लगे व जिनके पास टिकट नहीं था उनसे गाली-गलौज करने लग गए। जब इसी प्रकार अभद्र भाषा का प्रयोग कर टिकट दिखाने की मांग की, जब नीरज ने अभद्र भाषा के प्रयोग नहीं करने का निवेदन किया तो उसे राजकार्य में बाधा डालने के मामले में फंसाने की धमकी तक दे डाली। इस मामले को जब नीरज ने ट्वीट कर रेलवे को अवगत कराया और ट्वीट के कुछ देर बाद नीरज के पास जयपुर से फोन आया कि आपने ट्विट कर एक शिकायत दर्ज कराई है और फोन पर कहा गया कि संबंधित कर्मचारी वहां मौजूद हैं उनसे बात कराने को कहा गया। नीरज ने एक कर्मचारी से बात कराई तो वो उसे ही फंसाने लग गए उन्होने फोन पर बात करते हुए नीरज की गर्दन के पीछे से शर्ट पकड़ ली और फोन पर बताने लगे कि यह यात्री बिना टिकट यात्रा कर रहा है और इसके साथ इसके और भी अन्य साथी यात्रा कर रहे है। लेकिन मामले को दबाने के लिए उल्टा ही यात्री पर बिना टिकट के आरोप लगाकर उसे ही फंसाने की कोशिश की गई जबकि नीरज के साथ ना तो अन्य व्यक्ति थे। नीरज ने अपने मासिक टिकट ( एमएसटी) की फोटो भी ट्वीट कर तुरन्त शेयर की और उस पर बिना टिकट यात्रा करने के लगे आरोप की सफाई दी ।
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