होम्योपैथी विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार पहले दोनों अस्पतालों और टेलीमेडिसिन के जरिए 55 संक्रमितों से संवाद किया गया। एसएमएस मेडिकल कॉलेज से अनुमति लेकर इनमें से 42 को होम्योपैथी दवा दी गई। बचाव के लिए संबंधित चिकित्सकों को भी होम्योपैथी दवा दी गई। चिकित्सकों को दवा कारगर लगी।
31 को आर्सेनिक, शेष को अन्य दवा दी
संबंधित चिकित्सकों के अनुसार 42 संक्रमितों संबंधी विश्लेषण में पता चला कि 31 रोगियों में आर्सेनिक एल्बम दवा के लक्षण थे। हालांकि अधिकांश रोगी बिना किसी लक्षण के थे लेकिन उनमें मृत्यु का डर, बेचैनी, चिंता, अस्थिरता, कमजोरी, बार-बार प्यास लगना आदि आर्सेनिक एल्बम दवा के संकेतक थे। दो रोगी आइसीयू के थे।
इनमें भी ऑक्सीजन होने पर भी रात को सांस की तकलीफ बढऩे, लेटने पर सीने में जकडऩ, बेचैनी आदि आर्सेनिक दवा के लक्षण थे। शेष को लक्षण के आधार पर जेल्सेमियम, इगन्शिया, काली कार्ब, लाइको पोडियम, ब्रायोनिया, नक्स वोम, नेट्रम म्यूर, कोलीकुम, वेलाडोना, लेकेसिस आदि होम्योपैथिक दवा दी गई। चौथे दिन फॉलोअप लिया गया और अधिकांश रोगियों को 3 से 5 दिन में छुट्टी दे दी गई। अध्ययन करने वाली टीम में डॉ. तारकेश्वर जैन, डॉ. कमलेन्द्र त्यागी, डॉ. विरेन्द्र चौहान, डॉ. वाणिजा गौतम, डॉ. शीना पाल शामिल थे।
होम्योपैथी विवि के चिकित्सकों ने हैल्थ वॉरियर्स के साथ कोरोना संक्रमितों को दवा दी थी। सभी लोगों को दवा कारगर लगी।
– डॉ. सुधीर भंडारी, प्रिंसिपल, एसएमएस मेडिकल कॉलेज
कई मरीजों को सांस, खांसी-बुखार, कमजोरी सबंधी शिकायत थी। होम्योपैथिक दवाएं कारगर रहीं।
– डॉ. तारकेश्वर जैन, रजिस्ट्रार, होम्योपैथी विश्वविद्यालय
कोरोना मरीजों के लिए आयुष विभाग ने दवाओं की अनुशंसा की है। नौ से 18 मई तक दी दवा से कई मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हुए।
– डॉ. गिरेन्द्र पाल, चेयरपर्सन, होम्योपैथी विश्वविद्यालय